जयपुर। इस बार ग्रहों के विशेष संयोग में नवरात्रा स्थापना की जाएगी और बासंतिक नवरात्रे इस बार आठ दिन के होंगे। नवरात्रा से पूर्व 29 मार्च की रात 9 बजकर 44 मिनट पर शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण मीन,मेष, और कुंभ राशि पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा।इस बार 30 मार्च को सुर्योदय से सुबह 6 बजकर 26 मिनट पर उदय होगा। इसलिए सूर्योदय से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक श्रद्धालु घटस्थापना कर पाएंगे। इस दौरान घटस्थापना के लिए कुल 4 घंटे और 40 मिनट तक दो शुभ मुहूर्त रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि बासंतिक नवरात्र 30 मार्च रविवार से प्रारंभ होगे। इस दौरान नवरात्रि अनुष्ठान में सबसे पहले गणेश पूजन और सुबह घट स्थाना करना शुभ माना जाता है। घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ समय सुबह 6 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दिन सूर्य,बुध,शुक्र,शनि,राहु और चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे। यह दुर्लभ संयोग 21वीं शताब्दी में पहली बार बन रहा है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग राजनीतिक,आर्थिक और पर्यावरणीय बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
तृतीय तिथि क्षय होने के कारण है 8 दिन के नवरात्रे
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि वैसे तो नवरात्रे 9 दिन के ही होते है। लेकिन इस बार तृतीय तिथि क्षय होने के कारण ये केवल 8 दिन के रहेंगे। द्वितीय और तृतीया एक साथ 31 मार्च को पड़ रही है। क्योकि तृतीया तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी। इसलिए इसी दिन मां ब्रह्माचारिणी और मां चंद्राघंटा की संयुक्त पूजा की जाएगी। इसलिए इस बार नवरात्रि 9 दिनों की होगी।
8 दिन के नवरात्रे, नहीं है शुभ संकेत, आ सकती है प्राकृतिक आपदा
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि वैसे तो अधिकांश नवरात्रे 9 दिन के ही होते है। क्योकि इसमें देवी के नौ स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है। कई बार तो नवरात्रि 10 दिन के भी होते है जो बहुत शुभ माने जाते है। क्योकि 10 दिन के नवरात्रों में देवी की आराधना का समय बढ़ जाता है। लेकिन नवरात्रे के घटने से शुभ संकेत नहीं माने जाते है। इससे वैश्चिक स्तर पर उथल-पुथल के योग बनते है। जनधन की हानि,समाज के सौहार्द की कमी,राजनीतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं तूफोन, अग्निकांड,दुर्घटना,बाढ़ और सूखे जेसी समस्याएं पनप सकती है।