जयपुर। जवाहर कला केंद्र की ओर से बसंत ऋतु के आगमन पर आयोजित बसंत के रंगों से सराबोर करने वाले नृत्य उत्सव ‘बसंत बहार’ का गुरुवार को समापन हुआ। उत्सव के आखिरी दिन पर पं. हरीश गंगानी ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।
इस विशेष प्रस्तुति की शुरुआत जयपुर घराने की पारंपरिक बंदिश ‘रंगीला शम्भू’ से की गई जिसे राजा मानसिंह ने लिखा था और प्रसिद्ध गुरु पं. कुंदन लाल गंगानी ने कथक के लिए संगीतबद्ध किया। यह रचना राजस्थानी गायकी का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती नजर आई, जिसमें एक भक्त भगवान शिव और उनके परिवार को अपने ह्रदय और घर में आमंत्रित कर रहा है।
इसके बाद जयपुर घराने की पारंपरिक बंदिशों के साथ ताल तीनताल में उपज, ठाट, गणेश परन जैसी कथक के तकनीकी पक्ष प्रस्तुति कर शाम को सौंदर्यपूर्ण बनाया गया। राग बसंत और तीनताल द्रुत लय में सुसज्जित और बसंत ऋतु पर आधारित एक सुंदर संगीत रचना से कार्यक्रम का समापन किया गया।
दर्शकों को इस संपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से राजस्थानी लोक नृत्य और कथक के अद्भुत संगम का अनुभव हुआ। सितार पर पं. हरिहरशरण भट्ट, गायन पर समिउल्ला खां, तबले पर योगेश गंगानी और पखावज पर आशीष गंगानी ने संगत की।