राजस्थान में साइबर क्राइम पर बड़ी चोट: 23.56 लाख की ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी के तीन और आरोपी गिरफ्तार

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Three more accused arrested in 'Digital Arrest' fraud of Rs 23.56 lakh
Three more accused arrested in 'Digital Arrest' fraud of Rs 23.56 lakh

जयपुर। साइबर अपराधियों के खिलाफ राजस्थान पुलिस की मुहिम तेज हो गई है। पुलिस थाना साइबर क्राइम ने 23.56 लाख रुपये की ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी के एक बड़े मामले का पर्दाफाश करते हुए तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पहले एक आरोपी की गिरफ्तारी के साथ, कुल गिरफ्तारियां चार तक पहुंच गई हैं। यह गिरोह देशभर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर लोगों को डरा कर लाखों रुपये ठग रहा था, जिसका खुलासा इस कार्रवाई से हुआ है।

साइबर क्राइम के पुलिस अधीक्षक शान्तनु कुमार ने इस सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए बताया कि बीते 27 मई को जयपुर के एक निवासी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि 23 मई को उन्हें दो संदिग्ध मोबाइल नंबरों से कॉल आए। कॉल करने वालों ने खुद को मुंबई के कोलावा पुलिस स्टेशन से ‘संजय कुमार’ बताया।

उन्होंने कहा कि परिवादी द्वारा 2 जनवरी 2025 को मुंबई से खरीदे गए एक मोबाइल नंबर का उपयोग ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ और ‘आपत्तिजनक मैसेज’ भेजने के लिए किया गया है। इतना ही नहीं उन्हें बताया गया कि उनके खाते में 2.8 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है और उनके नाम पर एक गैर-जमानती वारंट भी जारी हो चुका है।

धोखाधड़ी को और पुख्ता बनाने के लिए ठगों ने परिवादी को सीबीआई के मुख्य जांच अधिकारी रोहित कुमार गुप्ता से बात करवाई, जिन्होंने भी उन्हीं बातों को दोहराया। इसके बाद परिवादी को एक आवेदन लिखने और यह विश्वास दिलाने के लिए मजबूर किया गया कि उनका आधार कार्ड केनरा बैंक से जुड़ा है और उसका दुरुपयोग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। उन्हें यह भी बताया गया कि उनके खाते फ्रीज करने और गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश हो चुके हैं।

ठगों ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए एक अदालत का दृश्य भी दिखाया, जिसमें एक न्यायाधीश संतोष कुमार भार्गव (परिवादी का नाम) के सभी खातों को जब्त करने और राशि जमा न करने पर तुरंत गिरफ्तारी का आदेश देते हुए दिखाई दे रहे थे। इस दबाव में आकर 26 मई को परिवादी ने अपने बैंक खाते से आरटीजीएस के माध्यम से आईसीआईसीआई बैंक, सेक्टर 11, रोहिणी, नई दिल्ली में स्थित ‘कृष्णा सर्जिकल’ के खाते में कुल 23 लाख 56 हजार रुपये हस्तांतरित कर दिए।

गहन अनुसंधान से हुआ खुलासा: दिल्ली से लेकर सोनीपत तक फैले तार

इस सनसनीखेज धोखाधड़ी के सामने आने के बाद साइबर क्राइम पुलिस थाना पर एफआईआर दर्ज कर तुरंत जांच शुरू की गई। पुलिस के गहन अनुसंधान के दौरान यह सामने आया कि ठगी गई रकम का एक बड़ा हिस्सा कृष्णा सर्जिकल के खाते में गया था। पुलिस ने इस खाते के लाभार्थी सुरेश कुमार जाट उर्फ सुरेन्द्र पुत्र बलबीर सिंह निवासी रामसिंहपुरा जिला झुंझुनू को 30 मई को बागबन अपार्टमेंट थाना शाहबाद डेयरी, रोहिणी, नई दिल्ली से गिरफ्तार किया।

सुरेश कुमार जाट से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। उसने बताया कि ठगी की गई रकम (लगभग 3 करोड़ रुपये, जिसमें अन्य मामलों की राशि भी शामिल है) को उसने अपने तीन साथियों ओमप्रकाश उर्फ नितेश (23) निवासी सूरतगढ़ सदर जिला श्रीगंगानगर, वंशुल उर्फ आर्यन उर्फ प्रवीण (19) निवासी हमीरवास जिला चुरू और भूपेश फगेड़िया पुत्र भागीरथ (27)निवासी रामसिंहपुरा बिसाऊ जिला झुंझुनू के साथ मिलकर ठिकाने लगाया था।

ये आरोपी जयपुर के एक होटल में रुके थे और होटल के वाई-फाई का उपयोग कर नेट बैंकिंग के माध्यम से ठगी की गई रकम को विभिन्न बैंक खातों में ऑनलाइन स्थानांतरित कर रहे थे। अनुसंधान अधिकारी नीरज मेवानी के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल दौलत राम, कांस्टेबल कृष्ण कुमार, आनंद कुमार और बनवारी लाल की टीम ने तत्परता दिखाते हुए उपरोक्त तीनों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर जिला कारागृह सोनीपत से गिरफ्तार किया।

एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि इन आरोपियों के खिलाफ हरियाणा के चंडीगढ़, सोनीपत, दिल्ली के रोहिणी, बिहार के पटना और कर्नाटक के बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में भी ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी के समान मामले या शिकायतें दर्ज हैं। यह इंगित करता है कि यह एक संगठित गिरोह है जिसका नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। साइबर क्राइम पुलिस अब तक इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और उनसे आगे की पूछताछ जारी है।

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