जयपुर। कांतिचंद रोड बनीपार्क में चल रही नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन तुलसी विवाह का प्रसंग हुआ। कथा में तुलसी-शालिग्राम विवाह का उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। जयपुर नगर निगम हैरिटेज की महापौर कुसुम यादव और नगर निगम के पूर्व चैयरमेन अजय यादव ने कन्यादान सहित विवाह की सभी रस्में निभाई।
तुलसी को दुल्हन एवं शालिग्राम जी को दूल्हे के रूप में सजाया गया। मंदिर से शालिग्रामजी को गाजेबाजे के साथ बारात के रूप में लाया गया। पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ तुलसी जी के साथ फेरे करवाए। तुलसी-शालिग्राम के विवाह पर श्रोताओं भजनों पर जमकर नृत्य किया। ठाकुरजी पर न्योछावर भी लुटाई गई।
व्यासपीठ से संतोष सागर महाराज ने कहा कि तुलसी भारतीय समाज और संस्कृति का ऐसा महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना कोई भी आंगन पवित्र और निर्मल नहीं माना जा सकता। बिना तुलसी के ठाकुरजी भी प्रसाद ग्रहण नहीं करते। तुलसी का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है। तुलसी और शालिग्राम की कथा हमारी संस्कृति में तुलसी के सतीत्व, त्याग और करूणा से जुड़ी ऐसी कथा है जो हर घर में पूजनीय और वंदनीय है। तुलसी में वह शक्ति है कि पत्थर भी जीवंत हो गए।
यही कारण है कि शालिग्राम की पूजा भी हर घर में तुलसी के साथ हो रही है। इस मौके पर सभी श्रद्धालुओं को तुलसी का पौधा भी भेंट किया गया। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि भगवान शिव शंकर को हम किसी भी नाम और स्वरूप से पुकारें, उनका काम जन-जन का कल्याण करना ही है। समाज की रक्षा के लिए उन्होंने जहर भी पी लिया और अपनी लीलाओं से देवत्व की भूमिका भी निर्वाह की।
श्री शिव महापुराण कथा समिति के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बतााया कि तीन जुलाई को दोपहर दो से शाम छह बजे तक द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य लीला होगी। चार जुलाई को शिव भक्त चरित्र, महामृत्युजंय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र महिमा और शिव साधना प्रसंग के साथ शिव महापुराण का विश्राम होगा।