ईरान। ईरान में पानी की कमी अब “मंद संकट” से बढ़कर “खतरनाक संकट” हो गई है। सूखे और कम बारिश के कारण पानी की किल्लत हो गई है और गहरा जल संकट पैदा हो गया है। पिछले पांच वर्षों से ईरान भीषण सूखे का सामना कर रहा है और इस साल भी बारिश बहुत कम हुई है। खबरों के अनुसार, देश के जल भंडार 10 अरब घन मीटर से नीचे आ गए हैं, जिससे स्थिति को “खतरनाक” बताया गया है। अब इसके चलते सर्दियों की खेती में बड़े पैमाने पर कटौती की योजना है। ऐसे में देश के बांधों में पानी सिर्फ 42 प्रतिशत रह गया है और लगभग 90 प्रतिशत डैम सूख चुके हैं। पानी की कमी के बाद सरकार ने नागरिकों के लिए कई नियम बना दिए हैं।
ईरान की राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में पानी की भारी कमी के बाद सरकार ने जनता को प्रति दिन केवल 130 लीटर पानी के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। इससे अधिक पानी उपयोग करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर तेहरान जैसे बड़े शहर जल संसाधनों का ठोस प्रबंधन नहीं कर पाते, तो सितंबर या अक्टूबर तक यहां के बांध पूरी तरह सूख जाएंगे।
राइस की खेती को केवल 200 डोनम तक सीमित कर दिया गया है ताकि बीजों की विविधता बचाई जा सके। वहीं गेहूं और जौ की खेती केवल उन क्षेत्रों में होगी जहाँ नदी से जल की सीधी उपलब्धि हो या उन्नत सिंचाई प्रणाली हो। सरकार ने वीकली खेती (जैसे गेहूं-जौ) को बहुत सीमित कर दिया है, जबकि सब्जियों की खेती को जारी रखा जाएगा क्योंकि वे कम पानी में भी ड्रिप सिंचाई से हो सकती हैं।