जयपुर। सिन्धी समाज की महिलाओं ने सुहागिनों का पर्व टीजड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया। महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए टीजड़ी (गौरी )माता का व्रत किया। भोर होने से पूर्व उठकर कोकी, मीठी मानी आदि व्यंजन बनाकर अल्पाहार किया, फिर दिन भर निराहार रहकर उपवास रखा।पंडित जीतू महाराज ने बताया कि महिलाओं ने दोपहर में ब्राम्हण के घर जाकर टीजड़ी माता की कथा सुनी , टीजड़ी माता को हिंदोरेे में झुलाया ।समाज के तुलसी संगतानी ने बताया कि जवारों को मीठा जल अर्पित करने के बाद चरणामृत ग्रहण करने का विधान है ,पूजा के बाद महिलाओं ने मीठा जल ग्रहण किया ।
टीजड़ी माता को हिंडोले में झूला कर
रानी पूजे राज सां ,मां पूजां पहिंजे सुहाग सां…..,गाकर मां की आराधना की। सिंधी समाज में टीजड़ी माता की पूजा धान्यरूप में की जाती है ,मिट्टी के पात्र में जवारों को सिंचित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है , जल अर्पित कर प्रकृति के सरंक्षण का भाव होता है ।
रात्रि चंद्रोदय होने पर महिलाओं ने लाल,गुलाबी रंग के वस्त्र पहन कर मेंहदी ,बिंदी और सिंदूर सहित सोलह श्रृंगार कर चंद्रमा को दूध और कुट्टी ( चूरमे ) का अर्घ्य देकर अखंड सौभाग्य का वर मांगा ,घर के बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
सुहागिन महिलाओं ने मां गौरी और भगवान शिव से पल्लव प्रार्थना कर अपने पति और परिवार की सुख समृद्धि की कामना के साथ अखिल विश्व के कल्याण की कामना की ।शहर की सिंधी कॉलोनियों आदर्श नगर ,बसंत बहार , बनीपार्क ,कंवर नगर ,शास्त्री नगर,मानसरोवर ,प्रताप नगर , सहित कई स्थानों पर मीना संगतानी ,सपना बुधवानी , कंचन भंबानी ,जय श्री जेठानी और तनु जेठानी आदि कई महिलाओं ने पूजन किया ।




















