जयपुर। रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार विकलांगता के मुख्य कारणों में से एक है। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर ऐसा बढ़ा कि आज तक ये सिलसिला जारी है। इसकी वजह से स्पाइन को अच्छा खासा नुकसान पहुंच रहा है। 9 घंटे लगातार एक ही सिटिंग पोजीशन में काम करने से गर्दन या कमर में दर्द की शिकायत बनी रहती है।
रीढ़ की बढ़ती दिक्कतों के जोखिम और इससे बचाव के उपायों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे मनाया जाता है। इस मौके पर मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के सीनियर स्पाइन सर्जन डॉ. मुकेश हरितवाल ने स्पाइन से संबंधित समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
डॉ. मुकेश हरितवाल ने बताया कि बिगड़ती लाइफस्टाइल के कारण रीढ़ को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इसके कारण गर्दन से लेकर कमर तक के हिस्सों में दर्द और तंत्रिकाओं की कई तरह की समस्याओं के बढ़ने का खतरा हो सकता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, पीठ के निचले हिस्से में दर्द दुनियाभर में तेजी से बढ़ती समस्या है, इसके लिए रीढ़ की समस्याओं को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
लंबे समय तक बैठे रहने से बचें
लगातार बैठे रहने के कारण न्यूट्रल स्पाइनल अलाइनमेंट बनाए रखना कठिन हो जाता है जिसके कारण यह रीढ़ की हड्डी के तनाव को बढ़ा सकता है। डॉ. मुकेश ने बताया कि इस तरह की समस्याओं से बचे रहने के लिए ज्यादा समय तक सीधा खड़े रहने की अधिक कोशिश करें। अगर आपकी डेस्क जॉब है तो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद उठकर आसपास वॉक कर लें। शरीर की समय-समय पर स्ट्रेचिंग करते रहने से भी रीढ़ की समस्याओं से बचे रहने में मदद मिल सकती है।