जयपुर। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी के पावन पर्व पर गोविंददेवजी मंदिर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन व्यवस्था में किए गए आंशिक बदलाव श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुए।
मंदिर प्रशासन की ओर से एकतरफा बैरीकेड दर्शन व्यवस्था लागू की गई। इसके अंतर्गत बिना जूते-चप्पल आने वाले श्रद्धालु मंदिर छावन से प्रवेश कर परिक्रमा करते हुए मुख्य निकास से बाहर निकले, जबकि जूते-चप्पल पहने श्रद्धालुओं को रैंप दर्शन की अलग व्यवस्था प्रदान की गई। किसी भी दर्शनार्थी को मंदिर परिसर में रुकने या फोटोग्राफी की अनुमति नहीं थी, जिससे व्यवस्था पूर्णतः अनुशासित और सुगम बनी रही। इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक संचालित करने हेतु लगभग 100 स्वयंसेवकों ने सेवाएं दीं।
सुबह महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुर श्री गोविंद देव जी का पंचामृत अभिषेक हुआ। ठाकुरजी को लाल रंग की नटवर पोशाक धारण कराकर गोचारण लीला के भाव से विशेष श्रृंगार किया गया। राजभोग झांकी के समय सागारी व्यंजन एवं फलों का भोग अर्पित किया गया।
सुबह मंगल आरती से लेकर रात्रि शयन झांकी तक करीब 2 लाख श्रद्धालुओं ने ठाकुर श्री गोविंद देव जी के दर्शन किए, जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्ति, श्रद्धा और भावनाओं की मधुर तरंगों से परिपूर्ण रहा। श्रद्धालुओं ने दर्शन व्यवस्था की सराहना करते हुए इसे अत्यंत सुविधाजनक बताया।
इस अवसर पर ठाकुर श्री राधा गोविंद देव जी का सुबह अभिषेक कर गोचारण लीला के भाव से दर्शन कराए गए। फूलों और चंदन से आकर्षक श्रृंगार किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शाम को 1100 किलो आमों से सुसज्जित विशेष झांकी प्रस्तुत की गई, जो भक्तों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही। इस झांकी के उपरांत आमों को प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया गया, जिससे सभी को आध्यात्मिक तृप्ति के साथ साथ भौतिक आनंद की अनुभूति भी हुई।
योगिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव से व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना की। व्रतधारियों ने लक्ष्मी-नारायण, कनकधारा और कुबेर पूजन कर विशेष आध्यात्मिक एवं सांसारिक लाभ की कामना की।
जयपुर के अन्य प्रमुख मंदिरों जैसे श्री सरस निकुंज (सुभाष चौक), राधा दामोदर जी मंदिर (चौड़ा रास्ता) एवं श्री गोपीनाथजी मंदिर (पुरानी बस्ती) में भी एकादशी पर वेदोक्त मंत्रोच्चार, अभिषेक, श्रृंगार व भोग सहित विशेष आयोजन सम्पन्न हुए।
श्री सरस निकुंज में सजी पुष्प-सुगंधित झांकी
वहीं आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज, दरिबा पान, सुभाष चौक में योगिनी एकादशी पर रविवार को दिव्य आध्यात्मिक आयोजन अत्यंत श्रद्धा व भावनात्मक वातावरण में सम्पन्न हुआ। श्री ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी जू सरकार की भव्य ऋतु झांकी का दर्शन वैष्णव श्रद्धालुओं के लिए दिव्य अनुभव बना। इस झांकी को ऋतु पुष्पों एवं ऋतु फलों से सुंदर रूप से सजाया गया, जिसने उपस्थित जनसमुदाय को आध्यात्मिक आनंद से अभिभूत कर दिया।
इस विशेष अवसर पर श्री शुक संप्रदाय के पीठाधीश्वर परम पूज्य श्री अलबेली माधुरी शरण जी महाराज ने ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी जी को विशेष सागारी व्यंजन एवं ऋतु फलों का भोग सादर अर्पित किया। यह भोग परंपरा एवं समर्पण की एक अनुपम मिसाल रही, जो संप्रदाय की गहन भक्ति परंपरा को दर्शाता है।
दोपहर से आरंभ हुआ यह भाव-संवेदनशील उत्सव सायं वेला में और अधिक दिव्य रूप में परिवर्तित हुआ, जब श्री सरस परिकर के वैष्णव महानुभावों द्वारा सायं 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक पुष्प श्रृंगारित पदावलीयों का सुमधुर गायन किया गया। इन पदावलियों ने मंदिर परिसर को माधुर्य रस में डुबो दिया और वातावरण को शुद्ध, शांत व भक्तिमय बना दिया।
श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया जी ने बताया कि इस अवसर पर अनेक श्रद्धालु, संत, गौड़ीय आचार्य व वैश्णव जन उपस्थिति रहे एवं उन्होंने ठाकुरजी के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्त्व का रहा, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक अनुभूति बन गया जिसने श्रद्धालुओं को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। आयोजन की व्यवस्था, संयोजन एवं सेवा में श्री सरस परिकर के समर्पित सेवकों का विशेष योगदान रहा।