जयपुर। बारिश से सुहाने हुए मौसम में आषाढ़ कृष्ण की एकादशी 22 जून को योगिनी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। श्रद्धालु श्री हरि भगवान विष्णु का पूजन कर व्रत रखेंगे। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या को देखते हुए सभी को सुलभ दर्शन के लिए मंदिर प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था में आंशिक बदलाव किया है। भीड़ के एकत्रीकरण को रोकने के लिए एक तरफा बैरीकेड दर्शन व्यवस्था रहेगी।
बिना जूते-चप्पल वाले दर्शनार्थी मंदिर के छावन में दर्शन करते हुए बिना रुके परिक्रमा करके मंदिर छावन से निकास करते हुए मंदिर के मुख्य निकास की ओर प्रस्थान कर सकेंगे। जूते-चप्पल पहन कर आने वाले दर्शनार्थी बाहर रैंप से दर्शन कर वापस उसी मार्ग से आ सकेंगे। एकादशी को किसी भी दर्शनार्थी को मंदिर छावन में रुकने और फोटोग्राफी की अनुमति नहीं होगी। एकादशी की दर्शन व्यवस्था के लिए करीब सौ स्वयंसेवक सेवााएं देंगे।
गोविंद देवजी मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि सुबह महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर लाल रंग की नटवर पोशाक धारण कराई जाएगी। गोचारण लीला के भाव से श्रृंगार किया जाएगा। राजभोग झांकी के दौरान सागारी व्यंजनों और फलों का भोग लगाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आषाढ़ कृष्ण एकादशी इस बार भी दो दिन 21-22 जून को है। द्वि पुष्कर योग में शनिवार, 21 जून को स्मार्त (साधु-सन्यासी) मतावलंबी एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, वैष्णव मतावलंबी रविवार, 22 जून को श्री हरि भगवान का पूजन कर व्रत रखेंगे। चूंकि छोटीकाशी वैष्णव प्रधान है इसलिए ज्यादातर लोग 22 जून को ही एकादशी का व्रत रखेंगे। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भी एकादशी 22 जून को मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि ब्रह्म वैवर्त पुराण में योगिनी एकादशी व्रत की कथा का उल्लेख मिलता है। यह व्रत विशेष रूप से बीमारियों और शारीरिक कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। उत्तर भारतीय हिंदी पंचांग के अनुसार, यह व्रत आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में रखा जाता है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में विस्तार से समझाया था।
हिंदू धर्म में उपवास को आत्मा को ब्रह्म से जोडऩे का माध्यम माना जाता है। इसलिए नियमों और शास्त्रीय मानदंडों का पालन करते हुए एकादशी व्रत से मिलने वाले आध्यात्मिक और सांसारिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस दिन उपवास करने वाले व्यक्ति को विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिसमें लक्ष्मी पूजा, कुबेर पूजा, कनकधारा पूजा और लक्ष्मी-नारायण पूजा शामिल हैं। यदि किसी को आर्थिक या व्यवसायिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो योगिनी एकादशी के दिन ये पूजा विशेष फलदायक मानी जाती हैं।
यहां भी होंगे आयोजन
सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित शुक संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री सरस निकुंज में 22 जून को ठाकुरजी राधा सरस बिहारी सरकार का सुबह वेदोक्त मंत्रोच्चार से अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराई जाएगी। ऋतु पुष्पों से मनोरम श्रृंगार कर ऋतु फलों का भोग लगाया जाएगा। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर जी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर में एकादशी पर विशेष उत्सव होगा।