जयपुर। उत्तर भारत की प्रमुख श्रीवैष्णव पीठ, उत्तर तोदाद्रि मठ श्री गलता जी में परम्परा से मनाए जा रहे पवित्रोत्सव में दूसरे दिन गुरुवार को तमिलनाडु एवं नेपाल से पधारे विद्वानों ने श्री विश्वकसेन पूजन, पुण्याहवाचन, नव-कलश स्थापना, भगवदाराधना, अग्निस्थापना, पंच सूक्त से हवन, श्री लक्ष्मी-नृसिंह यज्ञ एवं अष्टोत्तरशत तुलसी अर्चन करवाया। वाद्य कला में दक्ष कलाकार, पाक शास्त्री भी तमिलनाडु से आएं हैं।
पवित्रोत्सव के प्रथम दिवस तिरूमंजन, मृदाहरण, अंकुरारोपण एवं यज्ञशाला प्रवेश हुआ। शुक्रवार को तीसरे दिन पंच सूक्त, अष्टाक्षरी, द्वयमंत्र से हवन में आहुतियां प्रदान की जाएंगी। सर्वारिष्ट शमनार्थ श्री सुदर्शन यज्ञ के बाद अर्चना की जाएगी।
श्री गलता पीठ अंतर्गत श्रीरामानुजाचार्य वेदान्त गुरुकुल, श्री गलता पीठ के अर्चक तथा श्री वैष्णव मण्डल के संयुक्त सहयोग से यह उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है।
प्रायश्चित के लिए पवित्रोत्सव का विधान:
गालव आश्रम के स्वामी अवधेशाचार्य महाराज ने बताया कि पवित्रोत्सव का मूल प्रयोजन दैनिक पूजा-अर्चना में अनजाने में हुए अपचारों का प्रायश्चित कर भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करना है। श्री रामानुज श्री वैष्णव संप्रदाय में यह मान्यता है कि भक्त भागवत जन द्वारा मनाए जाने वाले उत्सवों का उद्देश्य केवल लौकिक नहीं, अपितु अलौकिक फल मोक्ष (भगवद् सायुज्य एवं भगवान की नित्य सेवा) प्राप्त करना है। उन्होंने बताया कि मठ-मंदिरों में आचार्य, अर्चक एवं परिचारकगण सेवा करते समय त्रुटियों के पात्र हो सकते हैं। उनके परित्राण के लिए वेदाज्ञानुसार यज्ञ एवं हवन किए जाते हैं। यज्ञ-हवन से वातावरण शुद्ध होता है एवं लोककल्याण की भावना साकार होती है। इन्हीं भावनाओं से प्रेरित होकर श्रीभाष्यकार जगद्गुरु श्रीरामानुजाचार्य स्वामी जी ने इस पवित्रोत्सव को मनाने की आज्ञा दी थी।