दिव्यात्मा बाब’ को याद कर मनाया 174वॉ शहादत दिवस

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174th Martyrdom Day celebrated by remembering 'Divyaatma Baba'
174th Martyrdom Day celebrated by remembering 'Divyaatma Baba'

जयपुर। बहाईयों की स्थानीय आध्यात्मिक सभा द्वारा बहाई धर्म के अग्रदूत दिव्यात्मा बाब के 147वे शहादत दिवस की स्मृति में मंगलवार को बापू नगर स्थित बहाई हाऊस की विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर प्रतिकात्मक रूप से दिव्यात्मा बाब को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया जहां युवाओं ने बढ़ चढ़कर रक्तदान में भाग लिया । इस रक्तदान शिविर में 22 युनिट रक्तदान इकट्ठा किया गया। जिसे जरुरमंदों के लिए ब्लेड बैंक को सौप दिया गया।

इस दौरान प्रजेंटेशन के माध्यम से भी दिव्यात्मा बाब की जीवनी पर प्रकाश डाला गया।आध्यात्मिक सभा के अध्यक्ष नेजात हगीगत ने बताया कि बाब को युवावस्था में ही शहीद कर दिया गया था उनकी कम उम्र मे ही लाखों की संख्या में उनके अनुयायी बने और हजारों लोगों ने उनके लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। इस अवसर पर स्थानीय बहाई आध्यात्मिक सभा के अध्यक्ष नेजात हगीगत ने बताया कि दिव्यात्मा बाब का जन्म शीराज (ईरान) में 1819 में हुआ था।

उन्होंने घोषणा की कि वे एक नए अवतार, बहाउल्लाह (1817-1892), के लिए ’द्वार’ बनकर आए हैं। “बाब” शब्द का अर्थ “द्वार” होता है। दिव्यात्मा बाब की बढ़ती हुई लोकप्रियता और उनके युगांतरकारी विचारों के कारण रूढ़िवादी धर्मगुरुओं ने उनका विरोध किया और इस नवोदित धर्म की लोकप्रियता से घबराकर बाब के बीस हजार से भी अधिक अनुयायियों को वीभत्स यातनाएं देकर 9 जुलाई 1850 को मात्र 31 वर्ष की उम्र में बाब को ईरान देश में गोलियों से शहीद कर दिया गया।

बावजूद इसके, दिव्यात्मा बाब ने जिस युगान्तरकारी धर्म की घोषणा की थी वह आज बहाई धर्म के रूप में पृथ्वी के सभी देशों में फैल चुका है। दिव्यात्मा बाब की समाधी हाइफा (इज़रायल) में स्थित है जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण करने और प्रार्थनाएं अर्पित करने आते हैं।

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