फर्जी डिग्री मामला: शिक्षा निदेशालय में तैनात पूर्व एलडीसी सहित तीन गिरफ्तार

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Fake degree case: Three arrested including former LDC posted in Education Directorate
Fake degree case: Three arrested including former LDC posted in Education Directorate

जयपुर। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने फर्जी डिग्री वाले मामले में गुरुवार को शिक्षा निदेशालय में तैनात दो पूर्व एलडीसी और डिग्री का फर्जी प्रिंट निकालने वाले को गिरफ्तार किया है। एसओजी ने शिक्षा निदेशालय में पूर्व में कार्यरत एलडीसी 36 वर्षीय मनदीप सांगवान को गिरफ्तार किया है। आरोपी वर्तमान में यूडीसी सीबीईओ कार्यालय बीकानेर में तैनात है। इसके अलावा पूर्व एलडीसी जगदीश निवासी नागौर हाल यूडीसी करनी उच्च माध्यमिक विद्यालय देशनोक बीकानेर और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले राकेश कुमार निवासी रामबास राजगढ़ चुरू को गिरफ्तार किया है।

अतिरिक्ति महानिदेशक पुलिस एटीएस एवं एसओजी वीके सिंह ने बताया कि आरोपी मनदीप और जगदीश द्वारा पूर्व में गिरफ्तार दलाल सुभाष के माध्यम से मंदीप की पत्नी सुमन को जेएस विश्वविद्यालय शिकोहाबाद से फर्जी डिग्री दिलवाकर पीटीआई भर्ती में उपयोग लिया था। पहले जो फर्जी डिग्री मिली उसने तारीख 15 अक्तूबर अंकित कर दी जिससे जॉइनिंग में दिक्कत होती इस पर दोनों ने चर्चा कर दूसरी फर्जी डिग्री निकालकर 23 सितंबर तारीख़ अंकित कर दी।

पीटीआई परीक्षा की विज्ञप्ति के अनुसार बीपीएड की डिग्री 25 सितंबर से पूर्व की होनी चाहिए थी। सुमन अभी वर्तमान में शारीरिक शिक्षक के पद पर तैनात हैं। सुभाष, मनदीप, जगदीश अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खेल आरक्षण का लाभ लेने के लिए विशेष योग्यता के अंक अर्जित कर के देने के लिए अलग षड्यंत्र करते है। मनदीप और जगदीश योग्य अभ्यर्थियों को ढूंढकर पहले सौदा तय करते। उसके बाद सुभाष के माध्यम से ओपीजेएस या अन्य विश्वविद्यालय में फर्जी एडमिशन करवाते है और लाभांश पाने वाले खिलाड़ियों के एडमिशन के साथ साथ जिस भी खेल की प्रतियोगिता हैं उसके प्रोफेशनल खिलाड़ियों का भी एडमिशन करवाते।

खेल प्रतियोगिता जैसे रस्साकसी, वुड बॉल, टारगेट बॉल इत्यादि खेलों में प्रोफेशनल खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय की ओर से खिलाते और लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों को रिजर्व में रखते या कई बार लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रोफेशनल खिलाड़ी को डमी के रूप में भी खेल खिलाकर मेडल दिलवाते। मेडल के अंक लाभांश पाने वाले अभ्यर्थी को मिलते। इस पूरे षड्यंत्र में विश्वविद्यालय भी शामिल होकर एडमिशन और एंट्री भेजने के नाम पर पैसे लेते। जिस फर्जी डिग्री की व्यवस्था सुभाष विश्वविद्यालय से नहीं कर पाता तो सुभाष राकेश द्वारा उसकी प्रिंटिंग प्रेस में छपवा देता। राकेश द्वारा और भी कई जाली दस्तावेज प्रिंट किए गए हैं।

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