संयुक्त भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास दस्तलिक का समापन

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Joint India-Uzbekistan Joint Military Exercise Dastlik Concludes
Joint India-Uzbekistan Joint Military Exercise Dastlik Concludes

जयपुर। टर्मेज़ कंबाइंड आर्म्स ट्रेनिंग रेंज में आयोजित संयुक्त भारत-उज़्बेकिस्तान सैन्य अभ्यास डस्टलिक शनिवार को संपन्न हुआ। जन संपर्क अधिकारी (रक्षा) जयपुर (राजस्थान) कर्नल अमिताभ शर्मा के अनुसार अभ्यास डस्टलिक 15 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ था। जिसमें अमोघ डिवीजन, फाजिल्का ब्रिगेड के सेवियर्स और सप्त शक्ति कमांड की मुल्तान बटालियन ने भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया। जबकि उज़्बेकिस्तान गणराज्य के सशस्त्र बलों के दो प्लाटून ने उज़्बेकिस्तान सेना का प्रतिनिधित्व किया।

एक साथ खड़े होना और आतंकवाद से लड़ना दुनिया के दो देशों भारत और उज्बेकिस्तान का संकल्प है। इस संयुक्त अभ्यास में शांति और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का संकल्प का भरपूर प्रदर्शन किया गया। अभ्यास दस्तलिक भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय अभ्यास का पांचवां संस्करण था। संयुक्त अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित था और यह एक प्लाटून स्तर का अभ्यास था और इसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच विचारों, अवधारणाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर ध्यान देने के साथ दोनों सेनाओं के बीच अधिकतम सामंजस्य और अंतर-संचालनीयता प्राप्त करना था।

अभ्यास का समापन स्मॉल टीम इंसर्शन एक्सट्रैक्शन और कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन पर 48 घंटे लंबे सामरिक अभ्यास के साथ हुआ। जिसमें दोनों टुकड़ियों के सैनिकों को दो प्लाटून के बीच मित्र जोड़े में मिलाया गया। जिसमें एक भारतीय और एक उज़्बेकी सैनिक शामिल थे, जिससे अधिकतम एकजुटता प्राप्त हुई और भविष्य में किसी भी संयुक्त अभियान के लिए दोनों सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता का विकास हुआ।

यह अभ्यास भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने और परिचालन अनुभवों को साझा करने का भी एक अवसर था। भारत और उज़्बेकिस्तान की विविध और समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन और जश्न मनाते हुए सांस्कृतिक संध्या आयोजित की गई। दोनों भाग लेने वाली टुकड़ियों ने उग्रवाद-आतंकवाद विरोधी अभियानों पर संबंधित देश और सेना की प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत कीं। जिससे दोनों देशों के सैनिकों को काफी सीखने को मिला। इस अभ्यास का भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच संबंधों को मजबूत करने में बहुत महत्व था और आतंकवाद मुक्त शांतिपूर्ण दुनिया के प्रति दोनों देशों की प्रतिज्ञा को और मजबूत किया।

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