कार्तिक माह: एकादशी से अमावस्या तक दीपदान से मिलेगी अपमृत्यु का भय से मुक्ति

0
280
Kartik month: Donating lamps from Ekadashi to Amavasya will free you from the fear of untimely death
Kartik month: Donating lamps from Ekadashi to Amavasya will free you from the fear of untimely death

जयपुर। पर्व पुंज कार्तिक माह में वैसे तो पूरे तीस दिन दीपदान का विधान है, लेकिन एकादशी से अमावस्या तक दीपदान का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार कार्तिक माह संपूर्ण दीपदान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। धर्म शास्त्रीय अभिमत के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा पर्यंत एक माह निरंतर सायंकाल प्रदोष में छत पर दीपक लगाना चाहिए। अपघात की मृत्यु से निवृत्ति या अपमृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए यम के निमित्त दीपक लगाया जाता है। वहीं आर्थिक प्रगति के लिए कुबेर की पूजन की भी मान्यता है।

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से अमावस्या तक पांच पर्व विशेष माने जाते हैं, जिनमें रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धन्वंतरि जयंती, धनतेरस, रूप चौदस और दीपावली महालक्ष्मी पूजन यह पांच प्रमुख त्योहार सामान्यत: 5 दिनों के माने जाते हैं। किंतु तिथि की गड़बड़ के कारण इनमें परिवर्तन की संभावना भी बनती आई है। इस बार भी 31 अक्टूबर और एक नवंबर को दीपावली पूजन और पर्व मनाने को लेकर लोगों में संशय है।

इसे लेकर ज्योतिषियों, धर्म ज्ञाताओं ने मंथन कर 31 अक्टूबर को ही पर्व मनाना शास्त्र सम्मत बताया है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का बड़ा महत्व है। 5 अंगों के अलग-अलग प्रकार के दिवस, नक्षत्र का योग का संयोग किसी विशेष संयोग की ओर संकेत करता है। मान्यता है कि विशेष योगों में आने वाले पर्व काल या उत्सव, त्योहार विशेष फल प्रदान करते हैं। धनतेरस पर भौम प्रदोष का भी संयोग है।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष इस बार मंगलवार को है। मंगलवार के दिन होने से यह भौम प्रदोष के नाम से जानी जाती है। इसी दिन त्रयोदशी का भी प्रभाव रहने से यह धन्वंतरि जयंती और धनतेरस के नाम से भी जानी जानी जाएगी। निर्णय सिंधु की मान्यता के अनुसार देखें तो यम के निमित्त दीपदान का अनुक्रम वैसे तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक माना जाता है, किंतु जो निरंतर नहीं कर सकते हैं, वे एकादशी से अमावस्या तक करें।

कार्तिक कृष्ण एकादशी- लक्ष्मी की साधना का आरंभ: कार्तिक के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विशिष्ट साधना का आरंभ किया जा सकता है, जो पांच दिवसीय निरंतर चलती है। शास्त्र में इस प्रकार से विधिवत पांच दिवस से संकल्प के साधना से आर्थिक प्रगति के द्वार खुलते हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी 28 अक्टूबर को सोमवार को है। तिथि परिवर्तन के चलते इसी दिन मध्याह्न में गोवत्स द्वादशी मनाई जाएगी। गोवत्स का पूजन किया जाएगा।

सुबह रूप चौदस-शाम को दिवाली:

पंचांग की गणना के अनुसार 31 अक्टूबर की सुबह रूप चौदस और शाम को दीपावली का पर्व काल रहेगा। कुछ पंचांगों में एक नवंबर की तारीख दर्शाई गई है तो वह स्थान और गणित के अंतर से है। शास्त्रीय गणना से 31 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व काल मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here