नेटथियेट पर यू सजा चांद ग़ज़ल संध्या

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The moon decorated the ghazal evening on Net Theatre
The moon decorated the ghazal evening on Net Theatre

जयपुर। नेटथियेट कार्यक्रम की श्रृंखला में आज यूं सजा चांद ग़ज़ल संध्या में शहर के उभरते ग़ज़ल सिंगर काजल सुनयना और ज्योति रानी ने अपनी मखमली आवाज़ में सुप्रसिद्ध शायरों की गजलों का गुलदस्ता पेश किया । नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू बताया कि कलाकार काजल और ज्योति ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत सुप्रसिद्ध शायर बशीर बद्र की गजल यूं ही बेसबब ना फिर करो, किसी शाम घर भी रहा करो, वह गजल की सच्ची किताब है, उसे चुपके चुपके पढ़ा करो से की ।

इसके बाद उन्होंने बहादुर शाह जफर की ग़ज़ल निकले थे जब सफर ये तो महदूद था जहां, तेरी तलाश ने कई आलम दिखाए हैं और शायर शकील की *हाल ए दिल पूछने वाले तेरे दुनिया में कभी दिन तो होता है मगर रात नहीं होती फिर एक ग़ज़ल इतनी सी बात उनसे हुई प्यार हो गया दुनिया से बेखबर हुए अपनों से बेखबर यह क्या हुआ हर पल जो उनका हो गया को जब अपनी पुरकशिश आवाज में इन ग़ज़लों को सुनाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे। इनके साथ शहर के जाने माने तबला वादक ऋषि शर्मा ने अपनी उंगलियों का जादू दिखाकर ग़ज़ल की इस महफिल को परवान चढाया। कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी तथा कार्यक्रम में इम्पीरियल प्राइम कैपिटल के कला रसिक मनीष अग्रवाल की ओर से कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कैमरा मनोज स्वामी, संगीत संयोजन विनोद सागर गढवाल, मंच सज्जा जीवितेश शर्मा व अंकित शर्मा नानू की रही।

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