राजस्थान में संघ के प्रशिक्षण वर्ग 17 मई से, 12 स्थानों पर होंगे आयोजित

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Sangh's training classes in Rajasthan from May 17
Sangh's training classes in Rajasthan from May 17

जयपुर। राजस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशिक्षण वर्ग 17 मई से प्रारंभ होगा और 12 स्थानों पर आयोजित किया जाएगा । इस वर्गो में विभिन्न आयु वर्ग के चार हजार से अधिक स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का भी मार्गदर्शन स्वयंसेवकों को मिलेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल ने बताया कि संघ की ओर से प्रतिवर्ष अपने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन करता है। वर्ग में स्वयंसवेक मन की साधना, स्व-अनुशासन, त्यागपूर्ण जीवन, सामूहिक जीवन के सामंजस्य को सीखते हुए विविध प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। वर्ग में स्वयंसेवकों को शारीरिक, सैद्धांतिक और व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में इस बार 40 वर्ष तक की आयु के स्वयंसेवकों के लिए कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम (सामान्य) नागौर में और 40 से 65 वर्ष तक की आयु के स्वयंसेवकों के लिए कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम (विशेष )सवाई माधोपुर में आयोजित होगा। इसके अतिरिक्त चित्तौड़ प्रांत के केकड़ी, झालावाड़, निंबाहेड़ा और उदयपुर में, जयपुर प्रांत के चूरु, रतनगढ़ व सीकर में और जोधपुर प्रांत के पाली, जालोर व बालोतरा में संघ शिक्षा वर्ग आयोजित होंगे।

इन 12 वर्गों के अतिरिक्त तीन घोष वर्ग भी आयोजित होंगे। इन वर्गों में स्वयंसेवकों को समाज जीवन के विविध क्षेत्रों—जैसे सेवा, संपर्क, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, ग्राम विकास तथा गोसेवा जैसे विषयों पर काम करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संघ शिक्षा वर्ग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित अखिल भारतीय और क्षेत्र के अधिकारियों का मार्गदर्शन भी स्वयंसेवकों को प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा।

उन्होंने बताया कि संघ शिक्षा वर्ग पर्यावरण संरक्षण का भी उत्कृष्ट उदाहरण होते हैं। यहां प्लास्टिक का पूर्णतः निषेध रहता है और पानी की बचत को व्यवहार का हिस्सा बनाया जाता है। प्रत्येक स्वयंसेवक यह सुनिश्चित करता है कि प्रकृति को क्षति न पहुंचे- चाहे वह भोजन का अपव्यय हो या जल का दुरुपयोग। वर्ग का वातावरण सादगी, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत होता है, साथ ही स्वच्छता और सतत विकास के मूल्यों को भी जीवंत करता है।

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