जयपुर। जल महल स्थित परशुरामपुरी कॉलोनी में श्री राम दरबार, मंगलेश्वर महादेव और मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। आयोजन से जुड़े सर्वेश्वर शर्मा ने बताया कि परशुरामपुरी कॉलोनी विकास समिति. के अध्यक्ष और मंदिर निर्माण में प्रमुख भूमिका वाले नरेश शर्मा (श्याम) के निर्देशन में उत्साह और उमंग के साथ लोगों ने तैयारियों को अंतिम रूप दिया। घर घर जाकर लोगों को निमंत्रण दिया गया है ।
जयपुर सांसद मंजू शर्मा ने गुरुवार को आयोजन के पोस्टर का विमोचन किया। कॉलोनी में मूर्तियां की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रति महिलाओं में भारी उत्साह है। प्रचंड गर्मी के बावजूद महिलाएं गुरुवार को 16 मई को सुबह 9 बजे गाजे बाजे के साथ निकलने वाली कलश यात्रा को भव्य बनाने में जुटी रही। क्योंकि इसी कलश यात्रा के साथ ही मूर्तियों को नगर भ्रमण कराया जाएगा। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं एक ही रंग की साड़ी पहन कर शामिल होंगी। जगह जगह पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया जाएगा। नगर भ्रमण यात्रा के मंदिर पहुंचने पर 24 घंटे की अखंड रामायण शुरू होगी।
17 मई को दोपहर आरती के साथ अखंड रामायण पाठ का समापन होगा और मूर्ति प्रतिष्ठा की पूर्व क्रियाएं शुरू होंगी। मुख्य आचार्य के निर्देशन 11 वेदिक विद्वान अनुष्ठान प्रारम्भ करेंगे। समस्त देवी देवताओं ,श्रीराम दरबार ,दुर्गा माता शिव परिवार का अन्न , जल, फल सहित अन्य सामग्री से अधिवास कराया जाएगा।
संतों महंतों के सान्निध्य में होगी महाआरती
18 मई रविवार को दोपहर सवा 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में संत महात्माओं के सानिध्य में सभी प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जयपुर सांसद मंजू शर्मा ,हवा महल विधायक स्वामी बालमुकुंद आचार्य, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ,जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव, स्थानीय पार्षद सहित सभी कॉलोनी वासियों की गरिमामय उपस्थिति में श्री राम दरबार, मंगलेश्वर महादेव, माता दुर्गा की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के बाद महाआरती की जाएगी। उसके बाद हजारों भक्तों के लिए महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा।
भक्ति का मत्स्यावतार है मंदिर का निर्माण
गौरतलब है कि इस मंदिर के स्थान पर 60-70 वर्ष से एक बहुत ही छोटा मंदिर था। जो मात्र पांच फीट में बना हुआ था। एक व्यक्ति भी इस मंदिर में सही तरीके से पूजा नहीं कर सकता था। उसकी स्थिति भी बड़ी जीर्ण-शीर्ण थी। भगवान की प्रेरणा से नरेश शर्मा(श्याम) ने आगे बढ़ कर यहां मंदिर को बनाने की जिम्मेदारी उठाई । इस दौरान काफी संघर्ष भी करना पड़ा। लेकिन ईश्वर की इन पर कृपा थी । इनके भाग्य में मंदिर निर्माण लिखा था,और देखते ही देखते 500 गज में बहुत ही विशाल मंदिर का निर्माण हो गया।