जयपुर। पंच—दिवसीय दीपोत्सव के दूसरे दिन रविवार को रूप चतुर्दशी धूमधाम से मनाई गई। गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को रूप चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा, उत्साह के साथ मनाया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में सौभाग्य पर्व का भव्य आयोजन हुआ। महिलाओं ने अखंड सुख-सौभाग्य की कामना के साथ ठाकुर जी का विशेष पूजन किया और गृहलक्ष्मी रूप में अपने सौंदर्य एवं सौभाग्य का प्रतीकात्मक उत्सव मनाया।
कार्यक्रम के अंतर्गत तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी की टोली ने महालक्ष्मी-गायत्री महायज्ञ का वैदिक विधि से संचालन किया। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक सोहनलाल शर्मा के सान्निध्य में दिनेश आचार्य ने प्रज्ञा गीतों के साथ यज्ञ के ज्ञान विज्ञान पर प्रकाश डाला।
मंदिर सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने दीप प्रज्वलित कर महायज्ञ का शुभारंभ किया। घर में सुख-समृद्धि, संपन्नता और दरिद्रता-रोग-शोक नाश के लिए श्री लक्ष्मी गायत्री महामंत्र से विशिष्ट हवन सामग्री की आहुतियां अर्पित कराई गईं। श्रीवृद्धि के लिए कमल गट्टा और खीर से अग्निदेव को विशेष आहुतियां दी गईं।
श्रद्धालुओं को पूजन-हवन सामग्री मंदिर की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई। श्रद्धालुओं को दीपावली पूजन चित्र, गोमय दीपक और सुहाग सामग्री उपहार स्वरूप प्रदान की गई।
गायत्री परिवार राजस्थान के मुख्य ट्रस्टी ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि लक्ष्मी केवल भौतिक सम्पन्नता का प्रतीक नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण उपयोग और समाज हित के कार्यों में उसका सदुपयोग ही सच्ची सम्पन्नता है। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के सह व्यवस्थापक मणि शंकर पाटीदार ने कहा कि गायत्री मंत्र जीवन का आधार है।
प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन परिवार सहित सामूहिक रूप से गायत्री मंत्र जप, भजन और प्रार्थना करनी चाहिए, जिससे घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का वास बना रहता है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं और श्रद्धालु शामिल हुए। अंत में आरती एवं दीपदान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।