जयपुर। लोक आस्था, अनुशासन और आत्मसंयम का प्रतीक डाला छठ महापर्व शनिवार से श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में आरंभ हुआ। पहले दिन नहाय-खाय के अवसर पर राजधानी के विभिन्न इलाकों में पूर्वांचल की परंपरा और आस्था का संगम देखने को मिला। सुबह से ही व्रती महिलाएं स्नान कर परिवारजनों के साथ पवित्रता और विधि-विधान से तैयार लौकी-भात का सात्विक भोजन किया।
घरों में धूप-दीप की सुगंध और लोकगीतों की मधुर गूंज ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने एक साथ मिलकर पर्व की शुरुआत हर्षोल्लास से की। शाम तक जयपुर के मोहल्लों, गलियों और कॉलोनियों में कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए जैसे पारंपरिक गीतों की ध्वनि गूंजती रही।
वहीं रविवार को खरना के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ होगा, जिसमें व्रती महिलाएं सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना करते हुए परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी।
रोशनी से जगमगाए घाट
छठ पर्व को लेकर जयपुर में उत्सव जैसा माहौल है। मुख्य आयोजन गलता तीर्थ में होगा। बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के प्रवासी परिवारों के लिए नगर निगम और स्थानीय समितियों ने कई जगह अस्थायी घाटों को सजाया है। जयसिंहपुरा खोर, आमेर, विश्वकर्मा, शास्त्रीनगर, कानोता, सीकर रोड, नांगल जैसा बोहरा, प्रतापनगर, मालवीयनगर, मुरलीपुरा गणेश वाटिका, किशनबाग, निवारू रोड, माचवा रॉयल सिटी, बाइस गोदाम और गलता तीर्थ सहित शहरभर के घाटों पर रंगीन झालरों, फूलों और दीयों से साज-सज्जा की गई है।
हरिपुरा स्थित माता अहिल्या बाई होलकर उद्यान में साफ-सफाई, पेयजल, प्रकाश और सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने छठ व्रतियों से आशीर्वाद लिया। माहौल में एक ओर पूर्वांचल की परंपरागत खुशबू थी तो दूसरी ओर जयपुर की सांस्कृतिक विविधता का रंग झलक रहा था।
बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन शर्मा और महामंत्री चंदन कुमार ने बताया कि प्रमुख आयोजन गलता तीर्थ, एनबीसी दुर्गा विस्तार कॉलोनी, आमेर मावठा, मुरलीपुरा गणेश वाटिका, किशनबाग और प्रतापनगर में होंगे, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होंगे।
व्रती आज करेंगे खरना:अस्ताचलगामी सूर्य को सोमवार को देंगे पहला अर्घ्य
बिहार का प्रमुख महापर्व डाला छठ की शुरुआत शुक्रवार से नहाए खाय के साथ शुरू हुआ । बिहार समाज संगठन के राष्टॄीय मिडिया पॖभारी सुरेश पंडित ने बताया कि आज व्रती महिला एवं पुरुष निर्जला निराहार व्रत रखेंगे । शाम को मिट्टी की चुल्हे पर चावल व गुड़ से बनी खीर व सूखी रोटी एवं केले के पत्ते पर प्रसाद निकाल कर रखने के बाद तुलसी पत्ता रखकर घी की दीपक जलाकर भगवान सूर्य देव व छठी मईया को भोग लगाएंगे, उसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे ।
प्रसाद ग्रहण करने के समय व्रती को किसी भी प्रकार का आवाज सुनाई नहीं दे । रिश्तेदार परिवार के पूरे समूह इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं आस-पास के पड़ोसी को भी जिनके यहां यह पर्व नहीं मनाया जाता है उनको बुलाकर प्रसाद खिलाया जाता है इस प्रसाद का बहुत बड़ा ही महत्व है इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत जो सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा ।
नहाय खाय के बाद जो महिलाएं व पुरुष व्रत करेंगे , शुद्ध शाकाहारी भोजन जिसमें चावल चने की दाल और लौकी की सब्जी रूप से ग्रहण किया। डाला छठ महापर्व को जयपुर में विभिन्न स्थानों पर जैसे की गलता जी तीर्थ ,शास्त्री नगर स्थित स्वर्ण जयंती गार्डन के पीछे किशन बाग सिविल लाईंस के हरिपुरा स्थित पुण्य श्लोका माता अहिल्या बाई होलकर उधान में मुख्य आयोजन होगा ।
दिल्ली रोड ,प्रताप नगर, मालवीय नगर, रॉयल सिटी माचवा, मुरलीपुरा ,आदर्श नगर, विश्वकर्मा, जवाहर नगर, निवारू रोड ,झोटवाड़ा लक्ष्मी नगर, कानोता ,आमेर रोड , सोडाला, अजमेर रोड, हीरापुरा पावर हाउस, सिविल लाइंस, गुर्जर की थड़ी , आकेड़ा डुंगर इत्यादि जगहों पर बड़ी धूमधाम से सूर्य उपासना का महापर्व मनाया जाएगा ।
ठेकुआ प्रसाद होता है खास
प्रसाद की डाली में फल अधिक ही मात्रा में होता है पर छठ का प्रसाद ठेकुआ के बिना अधूरा है इसे तैयार करने के लिए गेहूं का आटा घर में तैयार करने की परंपरा है इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जाता है की पूजा से संबंधित किसी भी सामग्री को कोई चाहे वह बच्चा हो चिड़िया हो या कोई जानवर हो झूठ ना करें मानता है कि ऐसा हो जाने पर सूर्य देव कुपित हो जाते हैं
लोकगीतों की अनुपम मिठास
भगवान सूरज और सूर्य छठी मैया की आराधना में गाए जाने वाली लोक गीतों से युक्त होकर यह पर्व लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रचार करता है । दीपावली के बाद से ही छठ पर्व वाले घरों में यह लोकगीत केरवा जे फरे ला घवद से —- सबेरे चरण तोहार है छठी मईया,,,, उगऽ है सूरज देव अरघ के बेर आदि गीत गूंजने लगते हैं ।
गोविंद देवजी के दर्शन कर रखेंगे खरना का व्रत
सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ रविवार को आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में भी भक्ति भाव से मनाया जाएगा। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह नौ से ग्यारह बजे तक सूर्य गायत्री महायज्ञ और सामूहिक सूर्य अर्घ्यदान का आयोजन होगा। युग तीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार की गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी की टोली विधि-विधान से यज्ञ संपन्न कराएंगी। मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि आयोजन पूर्णतया: निशुल्क है। हवन सामग्री और पूजन सामग्री निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि डाला छठ महोत्सव के शुभारंभ के दूसरे दिन रविवार को श्रद्धालु खरना का व्रत रखेंगे। यह व्रत श्रद्धालु ठाकुर श्री राधा गोविंद देवजी के दर्शन कर रखेंगे। सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु सूर्य गायत्री मंत्र के साथ आहुतियां अर्पित करेंगे।
यज्ञ के बाद गंगा जल सहित विभिन्न पवित्र नदियों के जल से सामूहिक सूर्य अघ्र्यदान दिया जाएगा। इस मौके पर डाला छठ महोत्सव का आयोजन करने वाली समितियों के पदाधिकारियों का सम्मान भी किया जाएगा। डाला छठ के दिन उदित होते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए श्रद्धालुओं को सामग्री का नि: शुल्क वितरण किया जाएगा। गायत्री चालीसा एवं सत्संकल्प पत्र का नि: शुल्क वितरण किया जाएगा।
गायत्री परिवार राजस्थान के मुख्य ट्रस्टी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि गायत्री परिवार सभी समाजों को साथ लेकर त्योहार और पर्व मनाता आया है। आपसी एकता और समरसता के लिए यह आयोजन रखा गया है।



















