जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के संग्रहालय विज्ञान एवं संरक्षण केन्द्र एवं इतिहास एवं भारतीय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित “म्युजियम स्पेसेज एज पीपुल्स हिस्ट्रीज एण्ड कम्यूनिटी वॉयसेज विषय पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में वक्तव्य देते हुए बी.एल. इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, नई दिल्ली की प्रो. नीरु मिश्रा ने कहा कि कला संग्रहालय स्वयं में इतिहास के स्रोत हैं। विशिष्ट अतिथि, ढाका (बांग्लादेश) की प्रो. मोकम्मल एच. भुइआन ने भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति पर प्रकाश डाला।
श्रीलंका कोलंबो विश्वविद्यालय से आई प्रो. एम. ज़मीर क़रीम ने श्रीलंका में अल्पसंख्यक संस्कृति के संरक्षण में संग्रहालयों की भूमिका को महत्वपूर्ण माना। मुख्य अतिथि, आई.आई.टी. हैदराबाद के इतिहासकार डॉ. अनिकेत आलम ने संग्रहालयों में नवीन तकनीक के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में समाज विज्ञान संकाय की डीन प्रो. मंजूसिंह ने पर्यटन के रूप में संग्रहालयों को महत्वपूर्ण माना।
संग्रहालय विज्ञान एवं संरक्षण केन्द्र की निदेशक डॉ. नीकी चतुर्वेदी ने कहा कि यह अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी जन इतिहास व विभिन्न समुदायों की संस्कृति को अभिव्यक्त करते संग्रहालयों की महत्वता की दिशा में एक नवाचार है जिसमें देश-विदेश के शिक्षक व शोधार्थी संग्रहालयों से जुड़े विभिन्न शोध पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। संगोष्ठी संयोजक डॉ. तमेघ पंवार व संगोष्ठी सचिव डॉ. जिज्ञासा मीणा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यह जानकारी निदेशक, डॉ. नीकी चतुर्वेदी, संग्रहालय विज्ञान एवं संरक्षण केंद्र, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर ने दी।
कार्यक्रम के एक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. संगीता शर्मा ने कहा कि संग्रहालय हमें संस्कृति की जड़ों से जोड़ते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. निर्मल कुमार ने शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए गोवा के कैथोलिक आवास, पेटिंग्स आदि प्रतीकों का उल्लेख किया। प्रो. एम. भुइआन ने ढ़ाका म्युजियम से बांग्लादेश राष्ट्रीय म्युजियम तक की यात्रा को दर्शाया। कोलंबों विश्वविद्यालय के डॉ. एम. ज़मीर क़रीम ने श्रींलंका के अल्पसंख्यक संस्कृति के सरंक्षण व संवर्धन में म्युजियम की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. राजेश कुमार झा ने राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली की मध्य एशियाई दर्शक दीर्घा में प्रदर्शित बुद्ध सम्बन्धी
विरासत व अन्य कलाकृतियों के संरक्षण व संवर्धन में म्युजियम की भूमिका को अभिव्यक्त किया। एक अन्य सत्र में डॉ. उषा तिवाड़ी व प्रो. रवि कोरीसेटर आदि कई विद्वानों के व्याख्यान एवं शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इसी क्रम में 16 सितम्बर को आदिवासी अकादमी, तेजगढ़ (गुजरात) के निदेशक डॉ. मदन मीणा का संग्रहालयों पर विशेष व्याख्यान होगा एवं देश-विदेश के कई और शिक्षक व शोधार्थी अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।