जयपुर। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में गायत्री महायज्ञ के साथ नव दंपति आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया। इसमें 28 जोड़े परिवार सहित शामिल हुए जिनका विवाह पिछले दिनों ही संपन्न हुआ है। प्रेरणादाई माहौल में हुए आयोजन में बहुओं ने सास- ससुर को माता पिता समझ कर सेवा करते हुए घर को स्वर्ग बनाने का संकल्प लिया। वहीं आयोजन में उपस्थित सास ने बहु को बेटी मानकर प्यार देने का भरोसा दिलाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गोविंद देव जी मंदिर के सेवा अधिकारी मानस गोस्वामी ने ठाकुर श्री राधा गोविंद देव जी, वेद माता मां गायत्री , पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य, मां भगवती देवी शर्मा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक सोहनलाल शर्मा के निर्देशन में गायत्री कचोलिया, गायत्री तोमर, दिनेश मारबदे ने वेद मंत्रोच्चार के साथ सभी जोड़ों से यज्ञ में आहुतियां अर्पित करवाई। जोड़ों के सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मां गौरी को विशिष्ट आहुतियां भी दिलवाई। जोड़ों के अलावा 300 से अधिक लोगों ने तीन पारियों में यज्ञ देवता को आहुतियां अर्पित की ।
खुले मन से करें जीवन साथी की प्रशंसा
गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के सह व्यवस्थापक मणि शंकर पाटीदार ने युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों संदर्भ देते हुए कहा कि पति पत्नी को एक दूसरे की निष्कपट भाव से प्रशंसा करते रहना चाहिए। अपने जीवन-साथी को उत्साहित करना, ऊँचा उठाना, शिक्षित, सुसंस्कृत, सभ्य नागरिक बनाना दोनों का कर्तव्य होना चाहिए। प्रत्येक अच्छाई की प्रशंसा कीजिए और दिल खोल कर कीजिए। प्रशंसा से उनके और भी गुण, अच्छा स्वभाव विकसित हो सकेगा। मित्रभाव, सहनशीलता, सहयोग बढ़ेगा। अधिकांश पलियाँ अच्छी ही होती हैं, पर पति के उत्साहित न करने से, उनका विकास रुक जाता है।

झिड़कने, मारने, पीटने, अशिष्ट व्यवहार करने या निर्दयता का व्यवहार करने से पत्नी का हृदय टूक-टूक हो जाता है। विश्वास टूटते ही तलाक की नौबत आती है। इसलिए पति को सदा सर्वदा पत्नी को उच्च गुणों के सुझाव ही देने चाहिए। निष्कपट भाव से उसके प्रत्येक कार्य, घर की सजावट, रसोई, बनाव-श्रृंगार, आर्थिक सहयोग की प्रशंसा करनी चाहिए।पति को निरन्तर कोमलता और निरन्तर पत्नी की देख-रेख द्वारा उसके प्रति अपने प्रेम का प्रकाश करते रहना चाहिए। शिष्टाचार की छोटी-मोटी बातों को इज्जत और नये-नये उपहार लाने की बात भूल नहीं जाना चाहिये।
क्योंकि स्त्रियाँ इस बात को बहुत महत्त्व देती है। स्त्री प्रेम और प्यार के अभाव में साधारण सुख का जीवन भी व्यतीत नहीं कर सकती। प्रेम उसकी आत्मा का भोजन है। उन्होंने कहा कि पत्नी से कुछ भी मत छिपाइए अन्यथा वह शक करेगी और गुप्त मानसिक व्यथा से जलती रहेगी। उसे यह बतला दीजिए कि आप क्या कमाते हैं ? कैसे व्यय करते हैं। पत्नी से कुछ भी नहीं छिपाने का लाभ पति को ही होता है । उन्होंने कहा कि पति पत्नी को एक दूसरे के माता-पिता का इस तरह सम्मान करना चाहिए जैसा आदर वे अपने माता-पिता का करते हैं।
देहली पूजन कर लिया आशीर्वाद
हवन के बाद सभी जोड़ों ने ठाकुरजी के दर्शन कर देहली पूजन किया। मंदिर प्रबंधन की ओर से ठाकुरजी के आशीर्वाद के रूप में गोविन्द देवजी छवि, प्रसाद, दुपट्टा और भेंट दी गई। सालासर बालाजी मंदिर के विष्णु पुजारी ने सालासर बालाजी की छवि प्रदान की। गायत्री परिवार की ओर से रमेश अग्रवाल और कैलाश अग्रवाल ने देव स्थापना का चित्र के साथ गृहस्थ जीवन से जुड़ी पुस्तकों का सेट भेंट किया। उपस्थित लोगों ने स्वस्ति वाचन के साथ सभी जोड़ों पर पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद प्रदान किया।खुशबू नायक, सुरेंद्र, मुकेश, गिरधारी, सुदर्शन सहित अनेक नव युगल ने आयोजन की सराहना की।