जयपुर। पश्चिमी भारत के राज्यों के लिए दो दिवसीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन गुरुवार को जयपुर में शुरू हुआ। सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित यह कार्यक्रम भारत में सामुदायिक रेडियो के बीस वर्ष पूरे होने के जश्न की थीम पर आधारित है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि आईआईएमसी के एडीजी डॉ. निमिष रुस्तगी ने कहा कि दो दिन सीआरएस की बीस साल की यात्रा का जश्न मनाने का अवसर है। यह बिरादरी के साथ बातचीत करने और अनुभवों और सर्वाेत्तम प्रथाओं को साझा करने का अवसर है।
सीआरएस के अतिरिक्त निदेशक जी एस केसरवानी ने भाग लेने वाले सीआरएस को बताया कि सीआरएस स्थापित करने के लिए दस लाख रुपये की मौजूदा सब्सिडी को बढ़ाकर 15.60 लाख रुपये कर दिया गया है और सीआरएस में हरित ऊर्जा का उपयोग करने वाली महिला नेतृत्व वाली सीआरएस के लिए यह राशि 21 लाख रुपये तक हो सकती है।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय सामुदायिक रेडियो पर प्रशिक्षण लेने के लिए छात्रों के लिए 3 महीने की इंटर्नशिप स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इस आयोजन में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों के सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन की संयोजक प्रो (डॉ) संगीता प्रणवेंद्र, आईआईएमसी में सीआरएस की विभागाध्यक्ष ने बताया कि डिजिटलीकरण के वर्तमान युग में सीआरएस के सामने कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और प्रशिक्षण और साथियों के साथ बातचीत के माध्यम से समाधान निकालना होगा। प्रतिभागियों ने सीखने और बातचीत के अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रौद्योगिकी निरंतर विकसित हो रही है और ऐसे प्लेटफॉर्म हमें नवीनतम अपडेट के साथ तालमेल रखने में मदद करते हैं। सम्मेलन सीआरएस के बीच सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा देगा। सम्मेलन में जिन अन्य विषयों पर चर्चा की गई, उनमें सीआरएस के लिए आचार संहिता, स्वदेशी भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन तथा सीआरएस संचालन और प्रोग्रामिंग में लिंग समावेशन शामिल थे।
सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) क्या हैं सामुदायिक रेडियो छोटे (कम शक्ति वाले) एफएम रेडियो स्टेशन हैं, जिनका कवरेज क्षेत्र क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के आधार पर लगभग 10-15 किलोमीटर के दायरे में होता है। कृषि संबंधी जानकारी, किसानों के कल्याण के लिए सरकारी योजनाओं, मौसम पूर्वानुमान आदि के प्रसार में सीआरएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सामुदायिक रेडियो स्टेशन एक ऐसा मंच भी प्रदान करते हैं, जहाँ वैकल्पिक आवाज़ें सुनी जाती हैं।
सामग्री स्थानीय बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित की जाती है। इसके अलावा, जो लोग स्टेशनों का संरक्षण करते हैं, उनमें अक्सर समाज के गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग शामिल होते हैं, जिनकी मुख्यधारा के मीडिया तक पहुँच नहीं होती है।
क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के लिए क्षेत्रीय सम्मेलन की शुरुआत की। यह निर्णय राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों द्वारा व्यक्त की गई इच्छा के परिणामस्वरूप लिया गया।