धर्म डेस्क। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव सांसारिक पीड़ा का शमन करने वाले माने गए हैं। जो व्यक्ति सावन माह में भगवान शिवकी भक्ति में लीन रहता है उसे कभी भी मृत्यु या सांसारिक पीड़ाओं का भय नहीं सताता है। श्रावण मास में भगवान शिवकी पूजा और उनके कुछ खास मंत्रों का जाप करना बहुत ही लाभदायक होता है। अगर पूरी श्रद्धा से भोलेनाथ को प्रिय इन खास मंत्रों का जाप किया जाए तो इससे वे जल्दी ही प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्!
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ :-
त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- जैसे, इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से
मुक्षिया, हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मात्र न
अमृतात- अमरता, मोक्ष।
महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद :-
इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जप :-
रोज रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर दूर होता है। साथ ही कुंडली के दूसरे बुरे रोग भी शांत होते हैं, इसके अलावा पांच तरह के सुख भी इस मंत्र के जाप से मिलते हैं।