देवउठनी एकादशी : शंख-घंटा-घड़ियाल बजाकर उठाएंगे ठाकुर जी को

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जयपुर। देव उठनी एकादशी चार नवंबर को चार माह बाद फिर से शहनाई बजेगी। विवाह सहित मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन जमकर विवाह होंगे। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान सूर्य की स्थिति विवाह के लिए उचित नहीं है।

नवंबर माह में 12,13,16,18,22,23,25,26,28 और 29 नवम्बर को विवाह के लिए शुद्ध सावे होंगे। विवाह के अलावा सगाई, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश सहित अन्य मांगलिक आयोजन भी देवउठनी एकादशी से प्रारंभ हो जाएंगे। उधर, मंदिरों में शंख, घंटे, घड़ियाल की मधुर स्वर लहरियों के साथ ठाकुर जी को जगाया जाएगा।

योग निद्रा से उठेंगे श्री हरि विष्णु

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा के बताए जुलाई माह में देवशयनी एकादशी से श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले गए। उनके योग निद्रा के साथ सभी शुभ और मांगलिक कार्य चार माह के लिए बंद हैं। उसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होता है और इसी दिन से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ समय देखना आवश्यक होता है। इस बार देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को है। इस दिन इस दिन से भगवान विष्णु अपना कार्यभार संभालते हैं। इसके अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है।

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