जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के बैनर तले मंगलवार को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट सर्किल पर महासंघ से संबद्ध विभिन्न घटक संगठनों के प्रदेश एवम जिला कार्यकर्ता सैकड़ों की संख्या में पहुंचे। और नारेबाजी करते कलेक्ट्रेट सर्किल क़े चारो ओर विरोध जुलुस निकाला। इसके बाद महासंघ जिलाध्यक्ष के के यादव,मुख्य जिला मंत्री सज्जन सोनी, कैलाश दादरवाल एवम जयपुर संभाग अध्यक्ष विकाश शर्मा के नेतृत्व मे जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री और एवम मुख्य सचिव के नाम 17 सूत्रीय मांगपत्र ज्ञापन सोपा।
इस अवसर पर प्रदर्शन में शामिल हुए संरक्षक सियाराम शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र राना, मुख्य महामंत्री नवीन शर्मा, महामंत्री विपिन शर्मा एवम प्रमुख सलाहकार शशि भूषण शर्मा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य के समस्त विभागो में कार्यरत 6। लाख से अधिक नियमित एवम लगभग तीन लाख अनियमित कर्मचरियो की ज्वलंत समस्याओं का समय रहते समाधान के लिए राज्य सरकार को सजग होना होगा। क्योंकि इस बार राज्य कर्मचारी सरकार क़े कार्यकाल क़े आखिरी साल तक इन्तजार नहीं करेगा।
10 साल से कमेटियों के मकड़ जाल में नियमित कार्मिकों की वेतन विसंगति समस्या पूर्व सरकार द्वारा गठित खेमराज कमेटी की नकारात्मक रिपोर्ट से समाधान की जगह उलझ गई है। जबकि देश में आठवां वेतन आयोग आने को है। यह राज्य कर्मचारियों के लिए अति चिंता जनक ज्वलंत विषय है। वहीँ विगत 10 साल से एसीपी(9-18-27) की जगह 4 एसीपी 7/14/21/28 वर्ष की मांग पूरी नहीं हो पाई और ना ही संविदा कार्मिकों का नियमितीकरण,ठेकाप्रथा समाप्ति, एवम समुचित वेतन वृद्धि, की आश पुरी हुई।
संविदा से नियमित होने वाले सभी कार्मिकों को जो 50 प्रतिशत पेंशन के लिए नियमित सेवा अवधि पूरी नहीं कर पा रहें हैं। उनकी संविदा सेवा को पेंशन परिलाभ क़े लिए जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही 2 वर्ष या उससे अधिक की सविदा सेवा से उसी पद पर नियमित होने पर प्रोवेशन पीरियड समाप्त होना चाहिए।
संविदा निविदा पर कार्यरत कार्मिक जो बिना नियमित हुए सेवानिवृत्ति हो रहें है। उन्हे भी बृद्धावस्था में आर्थिक संरक्षण प्रदान करने के लिए नियमित कर्मचारियों के समान 50 प्रतिशत पेंशन एवम एक मुस्त ग्रेच्युटी, तथा उनके बेरोजगार आश्रित को भर्तीयो में प्राथमिकता मिलनी चहिए। काॅम्यूटेड पेंशन की वसूली व्याज मुक्त हो तथा सभी सरकारी कर्मचरियो क़े लिए ड्रेस कोड, एवम राजकीय सेवा क़े दौरान सुरक्षा के लिए हिंसा क़े विरुद्ध सख्त कानून बनाया जाना चाहिएl।
सेवानिवृत कार्मिको क़े बेरोजगार आश्रित क़े लिए भर्तियों में कोटा , विभिन्न संवर्गों में पूर्व के स्टाफिंग पैटर्न , कैडर रिव्यू कर सभी कार्मिको को सेवा काल में न्यूनतन तीन पदोन्नती मिले उसके लिए पदोन्नती पदों का श्रजन,राजनैतिक हस्तक्षेप रहित पारदर्शी स्थानांतरण नीति, कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की भांति अन्य कैडर के कार्मिक जो अपने-अपनी काउंसिल से रजिस्टर्ड है। उन्हें एनपीए की सुविधा प्राप्त हो एवं चिकित्सकों के डीएसीपी की भांति प्रति 6 वर्ष में अनिवार्य पदोन्नति सम्वन्धी निति बनायीं जानी चाहिए। जिस ओर राज्य सरकार का कोई ध्यान नहीं है, अतः कर्मचारी आंदोलन शुरू करने क़े लिए विवश हो रहें है l
महासंघ क़े मुख्य प्रवक्ता जितेंद्र सिंह , प्रवक्ता डा राकेश नेहरा,एवम वकी अहमद तथा मीडिया प्रभारी मुकेश मीणा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कार्मिकों के प्रति ढुलमुल रवैया छोड़कर मांगों को पूरा करने पर ध्यान देना होगा प्रदेश का कार्मिक कमेटी की रिपोर्ट से आक्रोशित और नाराज है। आज से पूरे प्रदेश में ध्यानाकर्षण प्रदर्शनों का क्रमिक दौर शुरू हो रहा है। अगर मांगो पर जल्द सुनवाई नहीं हुयी तो बढ़ते क्रम में चरण बद्ध आंदोलन को उग्र किया जाएगा।