जयपुर। प्रथम पूज्य गणेशजी का जन्मोत्सव आज तीन सौ साल बाद विभिन्न शुभ योगों में मनाया जा रहा है। रवि योग, स्वाति नक्षत्र और इसके बाद विशाखा नक्षत्र और तुला राशि के चंद्रमा में भगवान श्री गणेश जी की घर-घर पूजा होगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि शास्त्रों में गणेश पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय मध्यान्ह काल वृश्चिक लग्न श्रेष्ठ बताया गया है जो कि मंगलवार को सुबह 11: 08 से दोपहर 1: 01 बजे तक रहेगा। इसके अलावा सुबह के 9:19 से दोपहर 1: 51बजे तक चर, लाभ एवं अमृत का तथा अपराह्न 3:22 से 4: 53 बजे तक शुभ का चौघडिय़ा रहेगा जिसमें भी गणेशजी का पूजन किया जा सकता है।
नोलड़ी का हार पहन चांदी के सिंहासन पर विराजे मोतीडूंगरी गणेशजी
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में सोमवार को सिंजारा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने प्रथम पूज्य को मेहंदी लगाई। इसके बाद भक्तों को तीन हजार किलो मेहंदी प्रसाद के रूप में वितरित की गई। पांच स्थानों पर मेहंदी वितरण की व्यवस्था की गई। मेंहदी लेने के लिए लोग उमड़ पड़े। शाम को गणेशजी महाराज का विशेष श्रृंगार किया गया।
गणेश जी महाराज को स्वर्ण मुकुट धारण कराया गया। यह मुकुट केवल गणेश चतुर्थी को ही धारण कराया जाता है। महंत परिवार के पारंपरिक श्रृंगार में नोलड़ी का नोलखा हार का भाव था। इसमें मोती, सोना, पन्ना माणक के भाव स्वरूप दर्शाए गए हैं। इसके बनाने में करीब तीन माह लगे। सिंजारे पर भगवान को चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया। विशेष पोशाक धारण कराई गई।