जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार और केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सलाह दी कि “पहली बार सीएम बने हैं, उनके सलाहकार मेरे बयान लैपटॉप पर चलाकर सुनाएं, ताकि वे समझ सकें और सफल हों।”
गहलोत ने कानून-व्यवस्था को लेकर कपासन कांड का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक समर्थित बजरी माफियाओं ने युवक को पीटा, लेकिन पुलिस अब तक खामोश है। उन्होंने कहा कि अपराधियों में डर तभी आएगा जब सरकार पुलिस प्रशासन का इकबाल कायम करेगी।
उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड पर गहलोत ने केंद्र से सवाल किया, “तीन साल बाद भी न्याय क्यों नहीं मिला? हमारी सरकार होती तो दोषियों को छह-आठ महीने में सजा हो जाती। गृहमंत्री अमित शाह चुप क्यों हैं?”
निवेश के दावों पर तंज कसते हुए उन्होंने राइजिंग राजस्थान में घोषित 36 करोड़ निवेश को “खोखला” बताया। साथ ही किसानों को मुआवजा न मिलने, नरेगा मजदूरों की संख्या घटाने और स्वास्थ्य योजनाओं को कमजोर करने के आरोप लगाए।
गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी के 25 सितंबर को होने वाले दौरे पर दो मांगें रखीं—आदिवासियों की आस्था से जुड़े मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए और कन्हैय्यालाल परिवार को न्याय दिलाने पर ठोस जवाब दिया जाए। गहलोत सिर्फ अखबारों में स्वयं को और अपनी पार्टी को सुखियों में रखने का कर रहे है प्रयास:सतीश पूनिया
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अशोक गहलोत के बयान पर तिखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गहलोत राजनीतिक असुरक्षा महसूस कर रहे है और विपक्ष की भूमिका सही तौर पर नहीं निभा पा रहे। सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के अनर्गल बयानबाजी कर रहे है। विपक्ष में रहने के बावजूद गहलोत एक आंदोलन तक नहीं कर पाएं, अगर उनको विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कॉचिंग की जरूरत है तो मैं देने को तैयार हूं। पूनिया ने कहा कि गहलोत अब बे—सिर पैर की बातें कर रहे है।
इतने बड़े राजनीतिक कद वाले व्यक्ति अगर बे—सिर पैर की बातें करते है तो समझ से परे है। आखिर गहलोत क्या करना चाहते है यह समझ से परे है, वे विपक्ष का धर्म तक भूल गए है। उनकी बातों से ऐसा प्रतित होता है कि गहलोत एक सामान्य परिवार से आने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनने की बात सहन नहीं कर पा रहे। गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना फंडामेंटल राइट्स समझते है।