जयपुर। मंगल मूर्ति हनुमान ने सोमवार, 23 अक्टूबर को सीता की कुशलक्षेम का मंगल संदेश राम को सुनाया तो उन्होंने बजरंगी को गले लगा लिया। यह दृश्य देखकर सभी भावुक हो उठे। जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित दशहरा नाट्य उत्सव के चौथे दिन यह अलौकिक दृश्य साकार हुआ। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अशोक राही के निर्देशन में हो रही लोक नाट्य की प्रस्तुति से आमजन इस तरह से जुड़ाव महसूस कर रहा हैं कि केन्द्र के मध्यवर्ती दर्शकों से खचाखच भरा रहता है। एकटक होकर दर्शक प्रस्तुति का आनंद उठाते हैं। मंगलवार को पांच दिवसीय दशहरा नाट्य उत्सव का अंतिम दिन है।
सोमवार को लोक नाट्य की शुरुआत में कथक की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों में जो ऊर्जा भरी वह अंत तक झलकी। हनुमान ने सिया का संदेश देकर राम की चिंता दूर की। यह मजबूत निर्देशन की बानगी रही कि दोनों की बताचीत के बीच सीता के संवादों ने एकाएक सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
शरणागत रक्षा का संदेश
इधर राम ने राहत की सांस ली उधर अपने अनुज विभीषण से राम का बखान सुनकर रावण आग-बबुला हो उठा। अहंकार वश विभीषण को राज्य से निकाल दिया गया। करुणासिंधु राम ने विभीषण को गले लगाकर शरणागत की रक्षा का संदेश दिया।
राम जी की सेना चली..
समस्त विपत्तियों के बावजूद अब तक विनम्रता और शालीनता से काम ले रहे राम का धैर्य उस वक्त जवाब दे गया जब आग्रह करने के बाद भी समुद्र ने उन्हें रास्ता ना दिया। उनका आक्रोश देख रत्नाकर थर्रा उठे। प्रभु चरणों में वंदन कर उन्होंने सेतु निर्माण की राह दिखायी। वानर सेना ने सेतु बांधा। ‘राम जी को संग ले, वेग ले-उमंग ले, राम जी की सेना चली’ गीत ने सभी में जोश भर दिया।
लक्ष्मण ने रखा ब्रह्म शक्ति का मान
रावण के दरबार में पहुंचकर अंगद ने राम नाम का डंका बजा दिया। इस दौरान हांस्य व युद्ध के दृश्यों का बखूबी संयोजन किया गया। अंगद के संवादों में अवधी और हिंदी भाषा का लालित्य भी दिखा। इसके बाद लक्ष्मण और इंद्रजीत के युद्ध को देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। ब्रह्म शक्ति का मान रख सहर्ष उसका सामना करने के बाद मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर निकले राम के आंसूओं ने सभी की आखें नम कर दी। हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए तो मध्यवर्ती में गगनचुंबी घोष सुनाई दिया ‘सिया वर रामचंद्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय।’