दौसा जेल में अवैध कॉलिंग पर लगाम: टीएचसीबीएस टावर लगाने का कार्य प्रारंभ

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History-sheeter in jail attempted suicide
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जयपुर। राज्य की एकमात्र विशिष्ट केंद्रीय कारागृह श्यालावास (दौसा) में मंगलवार से टीएचसीबीएस टावर लगाने का कार्य प्रारंभ हो गया। इस अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली का उद्देश्य जेल के अंदर से अवैध मोबाइल कॉलिंग, इंटरनेट कॉलिंग और बाहरी आपराधिक नेटवर्क से संपर्क को पूर्णतः रोकना है।

जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि इस परियोजना के तहत पहले सिविल वर्क का कार्य किया जाएगा। जिसमें टावर की नींव और आवश्यक ढाँचा तैयार किया जाएगा। इसके बाद टॉवर पर मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाताओं के सिग्नल-ब्लॉकिंग सिस्टम स्थापित किए जाएँगे। यह प्रणाली विभिन्न मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क फ्रीक्वेंसी को नियंत्रित कर जेल परिसर के भीतर कॉल और डेटा ट्रांसमिशन को प्रभावी रूप से ब्लॉक करेगी। इससे जेल के अंदर मोबाइल फोन का कोई भी दुरुपयोग या नेटवर्क सिग्नल प्राप्त करना संभव नहीं रहेगा। इस कार्यवाही लगभग 3 से 4 माह का समय लगेगा।

जांगिड़ ने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर यह तकनीक जेलों में अपराध और बाहरी नेटवर्क के गठजोड़ को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अक्सर देखा गया है कि कैदी चोरी-छिपे मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर बाहरी अपराधियों से संपर्क बनाए रखते हैं, जिससे गंभीर अपराधों की साजिशें जेल के अंदर से ही संचालित होती हैं। अब टीएचसीबीएस प्रणाली के सक्रिय होने से ऐसे सभी प्रयासों पर सख्ती से अंकुश लगेगा।

जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि यह तकनीकी प्रणाली न केवल सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि कारागार प्रशासन को अधिक पारदर्शी, अनुशासित और जवाबदेह बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

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