इंद्रेश महाराज-बृज विला में श्री भक्तमाल कथा शुरू

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जयपुर। श्री शुक संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य महाप्रभु स्वामी श्यामचरणदास जी महाराज के 322 वें जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में श्री शुक संप्रदाय आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज की ओर से सरदार पटेल मार्ग, सी स्कीम में होटल राजमहल के सामने स्थित बृज विला में मंगलवार को श्री भक्तमाल कथा का शुभारंभ हुआ। श्री शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज, रामगोपाल सर्राफ ने व्यासपीठ का पूजन कर कथाव्यास श्री धाम वृंदावन के इंद्रेश जी महाराज का दुपट्टा धारण कराकर अभिनंदन किया। इससे पूर्व सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री शुक संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री सरस निकुंज में इंद्रेश जी महाराज ने ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी सरकार की निकुंज झांकी के दर्शन किए।

इसके बाद कथा स्थल पर इंद्रेश जी महाराज ने प्रथम दिन की कथा का श्रवण करवाते हुए कहा कि भक्तमाल कथा का कलियुग में बहुत महत्व है। जहां दूसरी कथा मोक्ष का ज्ञान देती है, वहीं भक्तमाल कथा कलियुग में भक्ति का संदेश देती है। अगर भक्त घर बैठे भी भाव से भक्त कथा को सुनता है तो उसको यहां कथा स्थान पर आने जितना फल मिलता है। ठाकुरजी को नींद नहीं आती, जब तक भक्तमाल की कथा न सुनाई जाए। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि सत्संग करने से मनुष्य के अवगुण दोष दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि करीब 500 वर्ष पूर्व गलताजी में जन्मांध नाभा गोस्वामी महाराज ने 9 वर्ष की आयु में दिव्य दृष्टि से श्री भक्तिमाल ग्रंथ की रचना की।

उन्होंने 4 दोहा और 6-6 पंक्ति के छप्पय छंद से 24 अवतारों का बोध करवाया। इसमें एक चौथाई संत राजस्थान से होने पर इस धरा पर इसे अनमोल ग्रंथ माना गया है। श्री भक्त माल कथा के प्रथम सोपान में उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ में भक्तों के चरित्र को मनका के रूप में पिरोया गया है। यह फूल, तुलसी, रूद्राक्ष से बढक़र भक्तों की माला है। उन्होंने कहा कि संसार में भक्ति और भजन से तार जोडक़र रखें क्योंकि गुरू भक्ति शिष्य के हर विध्न को काटती है।श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि कथा 26 अगस्त तक प्रतिदिन अपराह्न चार से शाम सात बजे तक होगी।

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