आईपीएस अधिकारी ने केस से केस से नाम हटाने की एवज ली रिश्वतः अब एसीबी ने किया पूर्व डीआईडजी के खिलाफ दर्ज मामला

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जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) हाल पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) होमगार्ड राजस्थान विष्णुकांत पर तीन साल पहले रिश्वत लेने के मामले में पकड़े गए हेड कांस्टेबल का नाम केस से हटाने की एवज में नौ लाख पचास हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एसीबी की ओर से उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने यह केस अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसीबी ललित किशोर शर्मा की रिपोर्ट आने पर एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 ( यथा संशोधित 2018) में आरोपी विष्णु कांत तत्कालीन डीआईजी एसीबी और हाल आईजी होमगार्ड राजस्थान जयपुर के खिलाफ नौ लाख पचास हजार रुपए रिश्वत लेने की एफआईआर दर्ज की है। साथ ही हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और उसके भाई कांस्टेबल प्रताप सिंह को भी इस केस में आरोपी बनाया है।

भ्रष्टाचार निरोधक व्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक हेमन्त प्रियदर्शी ने बताया कि एएसपी एसीबी ललित किशोर शर्मा की रिपोट के अनुसार एसीबी ने सत्यपाल पारीक की शिकायत पर साल 2021 में जयपुर के जवाहर सर्किल थाने के हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल लोकेश को घूस लेते पकड़ा था। इस केस में शिकायतकर्ता ने एसीबी के अधिकारियों को आरोपी सरदार सिंह के खिलाफ डीआईजी विष्णुकांत को पैसे देकर केस से नाम हटाने की शिकायत और सबूत दिए थे। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने डीआईजी विष्णुकांत को चुपचाप एसीबी से हटा दिया था।

जांच में सामने आया है कि आरोपी हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का भाई प्रताप सिंह भी जयपुर कमिश्नरेट में पुलिस कांस्टेबल है, जो एसओजी में विष्णुकांत का गनमैन था। एसीबी के पूर्व डीआईजी विष्णुकांत ने हेड कांस्टेबल सरदार सिंह के भाई कांस्टेबल प्रताप सिंह के माध्यम से एसीबी डीजी के नाम पर 9.5 लाख रुपए लिए थे और सरदार सिंह का नाम हटाकर फाइल बढ़ा दी। फिलहाल विष्णुकांत आईजी होमगार्ड हैं। इधर सरदार सिंह और लोकेश कुमार की जांच कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार स्वामी ने 11 फरवरी 2022 को डीआईजी को रिपोर्ट दी कि लोकेश कुमार आरोपी है और हेड कांस्टेबल सरदार सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल रहे हैं।

इस पर डीआईजी ने फाइल को 14 फरवरी 2022 को उपनिदेशक अभियोजन के पास भेजी। 2 मार्च 2022 को उपनिदेशक अभियोजन ने जवाब दिया कि जांच अधिकारी को दोबारा से जांच करनी चाहिए, क्योंकि हेड कांस्टेबल सरदार सिंह इस केस में आरोपी है। इसके बाद भी डीआईजी ने चालान कोर्ट में पेश कर दिया, जिसमें कांस्टेबल लोकेश कुमार को आरोपी बनाया, जबकि हेड कांस्टेबल सरदार सिंह को बेगुनाह बताकर विभागीय कार्रवाई की लिए कमिश्नरेट को लिख दिया।

वहीं पैसा देने और डीआईजी से आश्वासन मिलने के बाद हेड कांस्टेबल सरदार सिंह और उसके भाई प्रतापसिंह ने डीआईजी से व्हाट्सएप पर जो बात हुई थी, उसे रिकॉर्ड कर लिया था। इसके बाद दोनों भाइयों ने रिकॉर्डिंग मामले में शिकायतकर्ता को भेजकर कहा कि हमने सब सेट कर लिया है। डीआईजी बोल रहे हैं कि डरने की जरूरत नहीं है, फाइल से नाम हटा दिया है। पीड़ित ने इस तरह के करीब 9 ऑडियो और वीडियो एसीबी को दिए थे। जिसके बाद सरकार ने बिना कोई कार्रवाई किए डीआईजी को एसीबी से हटा दिया था।

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