जयपुर। एपेक्स हॉस्पिटल मानसरोवर में ईआरसीपी वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप में एसएमएस हॉस्पिटल के गेस्ट्रोसर्जन डॉ. राकेश कुमार यादव ने वर्कशॉप का लाइव डेमो दिया एवं इस तकनीक के लाभों के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान करीब दर्जनभर सर्जन ने लाइव डेमो देखा। डॉ. यादव ने बताया कि एंडोस्कोपिक की इस प्रक्रिया में पित्त की नली के स्टोन अथवा ट्यूमर को लेजर से तोड़कर बाहर निकाला जाता है।
ईआरसीपी के दौरान, डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि पित्त और अग्नाशयी नलिकाएँ ग्रहणी में कहाँ खाली होती हैं। फिर डॉक्टर एंडोस्कोप के माध्यम से कैथेटर नामक एक पतली, लचीली नली को पित्त और अग्नाशयी नलिकाओं में डालते है।
उन्होंने बताया कि ईआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी) में यकृत, पित्ताशय और अग्न्याशय की समस्याओं का निदान और उपचार बेहतर तरीके से संभव है। पुरानी प्रक्रिया में मरीज के 8 टांके आते थे जबकि ईआरसीपी में कोई टांका नहीं आता है एवं मरीज 6 घंटे में एक्टिविटी के लिए तैयार हो जाता है, पूरे राजस्थान में अब इस तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है।
एपेक्स हॉस्पिटल के निदेशक शैलेश झवर ने बताया कि नवीन तकनीको को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हॉस्पिटल की ओर से नियमित रूप से इस तरह के आयोजन किए जाते है, जिससे आमजन तक ये जानकारी पहुंचे। आयोजन में यूनिट हेड रोहित सैनी, सेल्स एंड मार्केटिंग हेड सुधीर सिंह, राजेश शर्मा, राजेश सैनी समेत अन्य ने कार्यक्रम का संयोजन किया।




















