जयपुर। दुर्गादास राठौड़ का जीवन दायित्व बोध और उसके निर्वहन का पर्याय रहा है। जीवन के प्रारंभ में 17 वर्ष की उम्र में अपने गांव के किसानों के खेतों की रक्षा के लिए जोधपुर महाराजा के राजकीय चरवाहों से संघर्ष से प्रारंभ हुआ। उनका यह दायित्व बोध क्षिप्रा नदी के तट पर 80 वर्ष की आयु में देहावसान के साथ पूर्ण हुआ।
चाहे जोधपुर के महाराजा के जसवंत सिंह के पुत्र अजीतसिंह के वैध अधिकारों की रक्षा कर उनको राजा बनाने के लिए उनका 30 वर्षों का संघर्ष हो, चाहे औरंगजेब के पुत्र अकबर को बादशाह घोषित कर औरंगजेब से उसकी रक्षा के लिए 7 वर्षों तक की कठिन दक्षिण यात्रा हो, चाहे औरंगजेब के पोते पोती वा लालन- पालन, संरक्षण व शिक्षण हो, चाहे तत्कालीन काल में संघर्षरत मारवाड़, मेवाड़, जयपुर, मराठा, सिख आदि विभिन्न शक्तियों को संगठित करने के प्रयास हों और फिर चाहे जीवन के अंतिम वर्षों में मारवाड़ से निष्कासन को स्वीकार करना हो, उनका संपूर्ण जीवन अपने कर्तव्य के पालन की कहानी मात्र बन गया था।
कांस्टिट्यूशन क्लब में 13 अगस्त को आयोजित राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ की जयंती के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री प्रताप फाउंडेशन के संयोजक महावीर सिंह सरवड़ी ने उपरोक्त बात कही। उन्होंने कहा कि दुर्गादास का संघर्ष अधिकारों के लिए नहीं बल्कि कर्तव्य पालन के लिए था और यही आज हमारे राष्ट्र की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हम समाज, राष्ट्र और सृष्टि के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और उनका पालन करने में प्रवृत्त होवें, यही ऐसे कार्यक्रमों की सार्थकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि बचपन में दुर्गादास जी के बारे में सुना था, आज सब स्मृतियां जीवित हो गई, हमारा कर्तव्य है कि दुर्गादास जी का जीवन आने वाली पीढ़ीयों तक पहुंचायें ताकि उनका जीवन निखर सके।
भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक जी परनामी ने दुर्गादास जी जैसे महापुरुषों के निरंतर स्मरण की आवश्यकता बताई। RPSC के पूर्व चैयरमेन ललित के पंवार ने दुर्गादास जी की स्मृति में पर्यटन सर्किट विकसित करने की आवश्यकता जताई एवं इसके लिए स्वयं के स्तर पर पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।
लोकायुक्त जस्टिस पी के लोहरा ने विभिन्न दोहों के माध्यम से दुर्गादास को नमन किया। आर्म फोर्स टर्मिनल के अध्यक्ष जस्टिस गोवर्धन बाढ़दार ने ऐसे महापुरुष का स्मरण करने को सौभाग्य बताया।