नीट यूजी परीक्षा में फर्जीवाड़ा मामला: डमी कैंडिडेट बैठाकर परीक्षा पास करने वाले दो डॉक्टर्स सहित मेडिकल छात्र गिरफ्तार

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NEET UG exam fraud case
NEET UG exam fraud case

जयपुर। चौमूं थाना पुलिस ने नीट यूजी परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले तीन डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। इनमें डमी कैंडिडेट बैठाकर परीक्षा पास करने वाले दो डॉक्टर भी शामिल है और अन्य आरोपित मेडिकल छात्र है। जिसने परीक्षा पास करने के लिए साठ लाख रुपए में सौदा किया था। पुलिस फिलहाल पकड़े गए तीनों आरोपी डॉक्टर्स से पूछताछ कर रही है।

पुलिस उपायुक्त जयपुर (पश्चिम) अमित कुमार ने बताया कि चौमूं थाना पुलिस ने नीट यूजी परीक्षा में फर्जीवाड़ा मामले में कार्रवाई करते हुए डॉक्टर सुभाष सैनी (33) निवासी जैतपुरा चोमू, सचिन गोरा (22) और अजीत गोरा (30) निवासी लक्ष्मी विहार, कचौलिया चौमूं को गिरफ्तार किया है।आरोपित सचिन गोरा वर्तमान में एमबीबीएस फाइनल ईयर एम्स जोधपुर मेडिकल कॉलेज का छात्र है। जांच में सामने आया कि नीट परीक्षा में सचिन गोरा के जगह अजीत गोरा की फोटो लगाकर आवेदन किया गया था। सचिन गोरा के स्थान पर डमी कैंडिडेट बैठाकर परीक्षा में 667 अंक हासिल किए थे।

इसके आधार पर सचिन गोरा का एमबीबीएस के लिए जोधपुर एम्स में दाखिला हो गया था। सचिन गोरा ने कभी नीट परीक्षा दी ही नहीं। एसीपी (चौमूं) अशोक चौहान ने बताया कि आरोपित सचिन गोरा ने साल-2020 में आयोजित नीट यूजी परीक्षा को पास करने के लिए डॉक्टर सुभाष सैनी से सम्पर्क किया। उस समय सुभाष सैनी आयु विज्ञान की डिग्री लेकर वर्तमान में कॉमन हेल्थ ऑफिसर के पद पर घाटवा में पदस्थापित है। । डॉक्टर सुभाष सैनी के जरिए 60 लाख रुपए में परीक्षा पास करवाने का सौदा किया गया। सचिन की जगह परमिशन लेटर पर अजीत की फोटो लगाकर पास कराया गया।

पूछताछ में सामने आया है कि साल-2013 में आरोपित सुभाष सैनी ने नीट पीजी में पास करवाने के एवज में 65 लाख रुपए लिए थे। करणी विहार थाना पुलिस ने साल-2013 में प्रकरण में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

थानाधिकारी प्रदीप शर्मा ने बताया कि चौमू निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति ने मामला दर्ज करवाया था। जहां जांच के दौरान पिछले 15 दिनों में कार्रवाई में एनटीए और संबंधित संस्थानों से रिकॉर्ड लिया गया था और परमिशन लेटर में भी सचिन की जगह अजीत के फोटो लगाकर एग्जाम देना सामने आया था। इसके अलावा जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज भरतपुर और एम्स जोधपुर मेडिकल कॉलेज से भी आवश्यक रिकॉर्ड मांगा गया था। वहीं मामले के खुलासे में भरतपुर और जोधपुर पुलिस ने भी मदद की। जब जाकर इस मामले का खुलासा हो पाया।

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