जयपुर। आज की भागती दौड़ती जिंदगी में राहत पाने के लिए बड़ी तादात में बड़ी तादात में लोग मेडिटाशन कर रहे है और मेडिटेशन सीखने की तरफ रुख कर रहे है। लेकिन मेडिटेशन में सबसे अहम है अनुभूति या अनुभव। सफेद साड़ी पहने आत्मा और परमात्मा का ज्ञान देने वाली ब्रह्माकुमारी स्पिरिचुअल टीचर्स की ट्रेनिंग की तीन दिन की एक विशेष कार्यशाला जयपुर के वैशाली नगर स्थित ब्रम्हाकुमारी संस्थान में संपन्न हुई।
अध्यात्म का ज्ञान दे कर राजयोग मेडिटेशन सिखाने वाली स्पिरिचुअल टीचर्स को लंदन में रहने वाली सिस्टर गोपी और कनाडा से सिस्टर जूडी और सिस्टर टेरी इन्हे ष्अनुभूति आधारित अध्यात्मष् की ट्रेनिंग देने खास तौर से जयपुर पहुंची । ब्रम्हकुमारी संस्थान के लंदन स्थित इंटरनेशनल हेडक्वार्टर से आई सिस्टर गोपी पिछले चालीस सालों से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कर रही है गोपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं में इंटरनल लीडरशिप के विकास में काम कर रही है । इसके साथ दुनिया के 49 देशों में 8000 से ज्यादा युवाओं के नेटवर्क इंटरनेशनल यूथ फोरम के जरिए पिछले तीन दशकों से सक्रिय है।
गोपी का कहना है की आज के पीढ़ी के पास एजुकेशन और इंफॉर्मेशन तो है लेकिन उसके जरिए वो अपने जीवन में सुधार नही कर पा रहे है। गोपी का मानना है की दुनिया को आध्यात्म का ज्ञान भारत से मिला है लेकिन भारत के लोग ही इस ज्ञान का उतना उपयोग नहीं कर पा रहे है जितना करना चाहिए जबकि दुनिया आध्यात्म की तलाश में भारत की तरफ आ रहे है। भारत के लोग अगर अपनी आध्यात्मिक ताकत और हेरिटेज को समझेंगे तो यह देश में एकता का बड़ा आधार बन सकता है।
राजयोग ज्ञान और मेडिटेशन के जरिए ब्रम्हकुमारी बहने अपने सेंटर्स में लोगो को रूहानी ज्ञान से परिचय कराती है। सेंटर में आने वाले लोगों को बताया जाता है की वो शरीर नहीं आत्मा है और उन्हें परमात्मा का परिचय देकर राजयोग मेडिटेशन के जरिए उस से संबंध स्थापित करने की विधि सिखाई जाती है ताकि वो निराकार बिंदु रूप परमात्मा के सात गुणों जिसमे प्रेम ,आनंद,सुख ,शांति,ज्ञान की शक्तियां लेकर अपनी आत्मिक स्थिति को मजबूत कर अपना जीवन रूपांतरित कर सके।
मेडिटेशन में अनुभव ही सबसे अहम है। तीन दिन के दौरान इन बहनों को अलग अलग एक्टिविटी कराई गई जिसके जरिए उन्हें यह सिखाया गया की कैसे बुद्धि और विवेक के जरिए परमात्मा के साथ के अनुभव को अधिक महसूस किया जा सकता है। देश और दुनिया में ब्रह्माकुमारी संस्थान के 8500 सेंटर है जिनमे यह बहने जीवन में आध्यात्म तलाश रहे लोगो को राजयोग मेडिटेशन सिखाती है।
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कई लोग मेडिटेशन तो करते है लेकिन लोगो को परमात्मा का अनुभव पाने में वक्त लगता है क्योंकि यह उनके संस्कार एवं उनकी आत्मिक स्थिति पर भी निर्भर करता है और इस पर भी की उनका दिमाग कितना शान्त और स्थिर है प्रभु से संवाद बनाने के लिए। वो कैसे अपने दिमाग को शांत और स्थिर कर अपने अनुभव को बढ़ा सकते है। सिस्टर जूडी कनाडा में लंबे समय से एडल्ट एजुकेशन से जुड़ी है उनका कहना है यह बहने खुद लंबे समय से राजयोग मेडिटेशन की पढाई और नियमित अभ्यास करती रही है तो वो किस तरह अपने निजी अनुभव को अपनी टीचिंग में शामिल कर आम लोगो को ट्रेन कर सके ।
लोगो को अनुभव के जरिए सीखने में मदद काफी मिलती है और इस तरह उनका ईश्वर में विश्वास भी बढ़ता है। जयपुर सबजोन की इंचार्ज सिस्टर बी के सुषमा कहती है भारत और पश्चिमी देशों के लोगो की सोच और सिखाने के तरीके में फर्क है । भारत भावना प्रधान देश है और वहां तर्क को ज्यादा महत्व दिया जाता है और युवा पीढ़ी बिना तर्क के किसी को आसानी से स्वीकार नहीं करती इसलिए यह ट्रेनिंग का खास महत्व है । सिस्टर सुषमा का कहना है धर्म और आध्यात्म में बहुत फर्क है धर्म में आप बड़े बड़े धार्मिक ग्रंथ याद कर ज्ञान अर्जित कर सकते है लेकिन अध्यात्म में सिर्फ अनुभव ही मायने रखता है।
तीन दिन तक चले इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में जयपुर जोन से जुड़ी ब्रम्हकुमारी बहनों में इस ट्रेनिंग को लेकर खासा उत्साह रहा। उनका मानना है की यह ट्रेनिंग उन्हे लोगो को स्पिरिचुअल ट्रेनिंग देने में बहुत कारगर साबित होगी। यह बहने इस ट्रेनिंग का लाभ समाज को को मिले इसके लिए विशेष प्रयास करेंगी ताकि उन्हें भी मेडिटेशन के अनुभव हो सके।