जयपुर। ग्रहों में सेनापति कहे जाने वाले मंगल चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर करने से मंगल के राशि परिवर्तन करने से शनि और मंगल के बीच षडाष्टक योग का निर्माण हुआ है। मंगल और शनि के बीच योग बनने कई तरह के अशुभ घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं और जन-धन हानि की आशंका है।
मंगल के नीच राशि में परिवर्तन करने से कुछ राशियों के जातकों पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है। ऐसे स्थिति में मंगल का प्रभाव कुछ अच्छा नहीं रह सकता है। मंगल के अपनी नीच राशि में होने से नकारात्मक असर देखने को मिलेगा। ज्योतिषीय नजरिए से मंगल का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
ग्रहों के सेनापति मंगल का नीच राशि में आना अच्छा नहीं माना जाता है। मंगल ऊर्जा, जोश, साहस, पराक्रम, युद्ध और रक्त के कारक ग्रह है। कर्क राशि मंगल की नीच राशि है। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का सेनापित का दर्जा प्राप्त है। मंगल युद्ध, उत्तेजना, क्रोध, साहस, आवेग, भूमि और सेना का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है पहला मेष और दूसरा वृश्चिक राशि। मंगल मकर राशि में उच्च के और कर्क राशि में नीच के हो जाते हैं। वहीं मंगल चित्रा, मृगशिरा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामित्व हासिल है।
मंगल एक से दूसरे राशि में गोचर करने के लिए करीब 45 दिनों का समय लेते हैं। मंगल ग्रह एक पुरुष प्रधान ग्रह हैं और मंगल का स्वभाव से उग्र ,ऊर्जा और भूमि का कारक माना गया है। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल मजबूत स्थिति में हैं तो जातक बहुत ही साहसी और खतरों से खेलने वाला होता है।
ऐसा व्यक्ति कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना करने से नहीं घबराता है, बल्कि डटकर सामना करता है और अपने शत्रुओं या विपरीत परिस्थितियों पर आसानी से विजय प्राप्त करता है। वहीं अगर कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर है तो यह जातक बुरे काम करने वाला और अपराधी हो सकता है। मंगल के मजबूत होने पर व्यक्ति सेना और पुलिस महकमे में उच्च पदों को प्राप्त करता है। मंगल के शुभ होने पर व्यक्ति भूमि, भवन और अच्छे मकान का सुख भोगता है।
ऐसा हो तो आता है मंगल का दोष:
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल कमजोर होता है तो व्यक्ति के ऊपर मंगल दोष आता है। मंगल के कमजोर होने पर वैवाहिक जीवन में तनाव, अशांति और कलह की संभावना बनी रहती है। कुंडली में मंगल के कमजोर होने पर जातक या जातिका का विवाह देरी से होता है और तमाम तरह की अड़चन आती हैं। मंगल की स्थिति अच्छी नहीं होने पर व्यक्ति जमीन-जायदाद और कोर्ट-कचहरी के चक्करों में फंसा रहता है। मंगल के अशुभ होने पर व्यक्ति को संतान का सुख या इसके प्राप्ति होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।