जयपुर। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन (एनएफआईडब्लू) के बैनर तले गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, एम.आई. रोड पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ न्यायालयों के स्त्री विरोधी फैसलों के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में न्यायपालिका की लैंगिक असंवेदनशीलता के विरुद्ध आवाज बुलंद की गई और अदालतों के विवादित फैसलों की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया गया।
कानून और आईपीसी की धाराओं के तहत यौन हिंसा मामलों में लिए गए निर्णयों को संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताया एनएफआईडब्लू की प्रमुख मांगें की जा रही हैं जिनमें स्त्री विरोधी और असंवैधानिक फैसलों को तुरंत रद्द किया जाए। लिंग न्याय का उल्लंघन करने वाले न्यायाधीशों को पद से हटाया जाए। सभी न्यायालयों को मुख्य न्यायाधीश की ओर से सख्त दिशा-निर्देश दिए जाएं। न्यायपालिका में लैंगिक संवेदनशीलता हेतु अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू हों।
न्यायिक जवाबदेही को लेकर देशभर में जन अभियान चलाया जाए।
महासचिव, एनएफआईडब्लू निशा सिद्धू ने कहा “ऐसे फैसले हमें दशकों पीछे ले जा रहे हैं। यह अन्याय अब और नहीं सहा जाएगा।” ईशा शर्मा ने कहा “बलात्कार के मामलों में सजा की दर बेहद कम है, और यह फैसले पीड़िताओं को न्याय से वंचित कर रहे हैं।” अध्यक्ष मिनाक्षी बिंदोरिया “पुलिस से लेकर अदालतों तक, पितृसत्ता गहराई से जमी है। महिलाएं अब भी एक वस्तु के रूप में देखी जाती हैं।” प्रदर्शन में बनीपार्क ब्लॉक अध्यक्ष राजकुमार बागड़ा, शैल कौर, पायल यादव, राधिका यादव, परी कौर, और स्थानीय पुलिस भी मौके पर मौजूद रही।