राजस्थान के ग्रामीण अंचलों में संजीवनी की कैंसर स्क्रीनिंग ड्राइव की शुरुआत

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अलवर। फेडरल बैंक होर्मिस मेमोरियल फाउंडेशन, न्यूज 18 नेटवर्क और नॉलेज पार्टनर टाटा ट्रस्ट्स द्वारा संयुक्त रूप से “संजीवनी: यूनाइटेड अगेन्स्ट कैंसर” अभियान चलाया जा रहा है। इसके तीसरे संस्करण को गति प्रदान करते हुए, भारत के शहरी और ग्रामीण हेल्थ केयर अंतर को खत्म करने की दिशा में आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके तहत राजस्थान के अलवर में ग्रामीण कैंसर स्क्रीनिंग ड्राइव की शुरुआत हुई है।

ग्रामीण अलवर की शांत गलियों में, जहां बीमारी की फुसफुसाहट अक्सर बंद दरवाजों के पीछे छिपी रहती है, आज एक शक्तिशाली सन्नाटा टूटा है। कैप्ड द्वारा जमीनी स्तर पर क्रियान्वित यह पहल हजारों लोगों के लिए लाइफलाइन है, जो सर्वाइकल, ब्रेस्ट और ओरल कैंसर की निशुल्क जांच प्रदान करती है। अलवर के 12 लाख लोगों के लिए, कैंसर का निदान अक्सर बहुत देर से होता है, जो डर और आर्थिक निराशा में लिपटा होता है। संजीवनी 2025 इसी नियति को चुनौती देता है। यह आठ राज्यों में भय को आशा में और जागरूकता को ठोस, जीवन रक्षक कार्रवाई में बदलने का संकल्प है, जिसकी शुरुआत यहीं से हो रही है।

फेडरल बैंक के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर एम.वी.एस. मूर्ति ने कहा कि कैंसर सिर्फ व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समुदाय को प्रभावित करता है। हालांकि, यह गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर पता चल जाए और इलाज हो तो वास्तविक आशा है। हमारा मूलमंत्र ‘रिश्ता आप से है, सिर्फ आप से नहीं। आज अलवर में जीवंत होता है। संजीवनी के माध्यम से हम भारत के वंचित ग्रामीण समुदायों में इनोवेशन, कम्पेशन/ करुणा और केयर से स्वास्थ्य सेवाओं की खाई पाटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने हजारों की हिम्मत देखी है, जो स्क्रीनिंग करा चुके हैं। अब अलवर की इन बस्तियों से हम और हजारों के हाथ थामना चाहते हैं। हमारा प्रयास है कि कैंसर का बोझ किसी को अकेले न उठाना पड़े।

कैप्ड के फाउंडर और सीईटो मृदु गुप्ता ने कहा कि भारत में कैंसर के खिलाफ असली लड़ाई क्लीनिकों में नहीं, बल्कि हमारे ग्रामीण समुदायों के घरों और मान्यताओं में लड़ी जाती है। आज हम सिर्फ एक पहल शुरू नहीं कर रहे, बल्कि एक मौन प्रार्थना का उत्तर दे रहे हैं। जिन महिलाओं से हम मिलते हैं, उनकी आंखों में एक बीमारी का डर है जिसका नाम लेने से भी वे हिचकती हैं। अब उनकी अपनी ही समुदाय की प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता उनका हाथ पकड़ कर कहती हैं…चेक कराना ठीक है, हम आपके साथ हैं।

नेटवर्क 18 स्टूडियो के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सिद्धार्थ सैनी ने कहा कि 2025 में संजीवनी हमारा संकल्प है कि स्वास्थ्य पत्रकारिता को सुर्खियों से आगे ले जाकर भारत के गांव-देहात तक पहुंचाएं। अलवर से शुरुआत कर हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रिवेंटिव हेल्थ केयर विशेषाधिकार नहीं, बल्कि सबका अधिकार बने। बहुत लंबे समय से, इन क्षेत्रों में खामोशी और कलंक ने कैंसर की शुरुआती पहचान को टाल दिया है।

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