मायड़ दिवस पर भेळी बात का मंचन

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जयपुर। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की सहायता योजना के अंतर्गत मायड़ भाषा दिवस पर नाथ संस्था ने नाटक भली बात का सशक्त मंचन किया ।भेळी बात एक राजस्थानी शब्द है जिसमें भेळी का अर्थ है इकट्ठा करना है और बात का मतलब कहानी और बातचीत से है। भेळी बात में राजस्थानी कहावतें, कहानियां, दोहे, सोरठे आदि को रोचकता से प्रस्तुत करते हुए राजस्थानी भाषा और संस्कृति का बखान होता है। राजस्थान में कहानी सुनाने की एक शैली है बातपोशी। उसी बातपोशी शैली का प्रयोग करते हुये प्रस्तुत दर्शकों को प्रस्तुति में भूमिका बना कर राजस्थानी सुनना, बोलना और समझाने को प्रयास किया जाता है।

दर्शक दीर्घा में बैठा दर्शक भी नाटक का हिस्सा बन अभिनेता के साथ अभिनय में सहयोग करता है। और अंत तक नाटक के प्रवाह में साथ बहता है। इस नाटक के दौरान दर्शक राजस्थानी परिधान भी पहनता है तो राजस्थानी बोलता भी है साथ राजस्थानी संस्कृती से रूबरू होता है। 1 घंटे की अवघी के इस प्रयोगी सत्र में दर्शक ही एक कलाकार की भांति भेळीबात का हिस्सा बन कर पूर्णता प्रदान करते है। राजस्थानी लोककथा, लोकगीत, लोकसाहित्य राजस्थानी गीतकारों के गीतों, एवं राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को आधार बना कर अनिल मारवाड़ी ने भेळी बातां का लेखन एवं निर्देशन किया, साथ ही इस प्रयोग के सुत्रधार भी स्वयं अनिल मारवाड़ी है। सह अभिनेता एवं संगीत पक्ष पर मनोज स्वामी और मुकेश सैनी है। प्रकाष राजेन्द्र शर्मा ‘‘राजू’’ का है। संस्कृति मंत्रालय भरता सरकार की सहायता योजना के अंतरगत मायड़ भाषा दिवस पर नाद संस्था ने नाटक भेळी बात का सशक्त मंचन किया।

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