जयपुर। हीरापुरा बस स्टैंड से बस संचालन शुरू होने से पहले ही इसका विरोध तेज हो गया है। हीरापुरा पावर हाउस (कमला नेहरू नगर) पर प्राइवेट बसों के जबरन स्थानांतरण के विरोध में “राजस्थान स्तर पर चक्का जाम” की घोषणा आल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर की ओर से की जा रही है हो चुकी है। इसमे परिवहन विभाग द्वारा कमला नेहरू नगर (हीरापुरा पावर हाउस) पर प्राइवेट स्लीपर बसों को जबरन स्थानांतरित करने के विरोध में प्रदेशभर की सभी बस यूनियनों के सहयोग से चक्का जाम आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई है।
आल राजस्थान कांट्रेक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का कहना है कि आरटीओ प्रशासन की ओर से एक अगस्त से सिंधी कैंप बस स्टैंड से अजमेर रूट की सभी प्राइवेट और रोडवेज बसों को हीरापुरा शिफ्ट करने के आदेश के खिलाफ के चलते एक हजार से ज्यादा स्लीपर और प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। आल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर और अन्य संगठनों ने साफ कह दिया है कि वे किसी भी हालत में हीरापुरा से बसें नहीं चलाएंगे।
आल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर के महामंत्री प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि सिंधी कैंप से हीरापुरा की दूरी ज़्यादा होने से यात्रियों को काफी असुविधा होगी।
इसके अलावा हीरापुरा में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, वेटिंग एरिया, पार्किंग और यात्रियों के बैठने तक की सुविधा नहीं है। वहीं रात में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी नहीं है।
साथ ही ओला-उबर वाले एक हजार तक वसूली करेंगे। इतना तो बस किराया नहीं होता।वहीं किसी महिला यात्री के साथ छेड़छाड़ और अनहोनी हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। बस ऑपरेटर्स का कहना है कि परिवहन विभाग की यह कार्यवाही एकतरफा और बिना वैकल्पिक व्यवस्था के की जा रही है। इस निर्णय में व्यवहारिकता और संवाद की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
गौरतलब है कि लंबे समय से हीरापुरा बस स्टैंड का विरोध किया जा रहा है। वही राज्य में रोडवेज की केवल 3050 बसें ही संचालित हो रही हैं और एक हजार स्लीपर बस ऑपरेटर हड़ताल पर है। ऐसे में निजी बसों की हड़ताल से आम यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसके अलावा रविवार को होने वाली लाइब्रेरियन परीक्षा के 80 हजार अभ्यर्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
वहीं रोडवेज की मात्र 3050 बसें पूरे प्रदेश में चल रही हैं, जो यात्री भार उठाने के लिए नाकाफी है। वहीं राज्य सरकार के निर्णय के विरोध में बस ऑपरेटर्स का आंदोलन गहराता जा रहा है। यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला तो यह विरोध आंदोलन लंबे समय तक परिवहन व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।