जेकेके में स्ट्रिंग म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वर्कशॉप का आयोजन

0
319
String musical instrument workshop organized in JKK
String musical instrument workshop organized in JKK

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के प्रयास मधुरम के अंतर्गत आयोजित स्ट्रिंग म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वर्कशॉप की मंगलवार को शुरुआत हुई। इसमें 16 वर्ष से अधिक आयु के 35 प्रतिभागियों ने आवेदन किया है। 13 फरवरी तक चलने वाली वर्कशॉप में इच्छुक प्रतिभागियों के लिए आवेदन जारी रखे गए हैं। प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 4:30 बजे तक प्रतिभागी सितार वादन से जुड़ी बारीकियां सीखेंगे। अमरीका प्रवास से लौटे जयपुर निवासी संगीतज्ञ पंडित कृष्ण मोहन भट्ट ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं बेहद जरूरी है क्योंकि शास्त्रीय संगीत हमारी जड़ों से हमें जोड़े रखता है।

यह समय है सभी को अवगत कराने का कि हमारी पुरातन संगीत परंपरा कितनी समृद्ध है। हाल ही जाकिर हुसैन, राकेश चौरसिया, शंकर महादेवन समेत पांच भारतीयों को ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया है, यह भारतीय संगीत की ताकत है। पं. कृष्ण मोहन भट्ट भारत रत्न से सम्मानित पं. रवि शंकर के शिष्य रहे हैं। न्यूयॉर्क समेत विभिन्न देशों में प्रस्तुति दे चुके पं. कृष्ण मोहन भट्ट को ‘गुणिजन’ सम्मान समेत कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

पंडित चंद्र मोहन भट्ट ने बताया कि यह बड़ा अवसर है इतने वाद्य यंत्रों में से मुख्यतः सितार की व्यावहारिक शिक्षा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है। सितार को लेकर आमधारणा बन गयी है कि इसे बजाना बेहद कठिन है लेकिन इसमें शास्त्रीय के साथ-साथ लोक संगीत, तंत्रकारी अंग व गायकी अंग का वादन किया जा सकता है। शास्त्रीय संगीत परंपरा से युवाओं को जोड़ने के लिए कार्यशाला बहुत कारगर है। आठ दिवसीय कार्यशाला में दोनों हाथों का बैलेंस, ताल के अनुसार छंद निर्माण, अलग-अलग तालों में उपज अंग से तैयार धुनें, तराने-ठुमरी की बंदिशें आदि सिखाई जाएंगी। प्रतिभागियों की प्रस्तुति के साथ कार्यशाला का समापन होगा।

उन्होंने बताया कि संगीत के छात्रों के अलावा कई अन्य पेशों से आने वाले प्रतिभागी भी अपनी रुचि के अनुरूप सितार वादन सीख रहे हैं। पं. चंद्र मोहन भट्ट पांच पीढ़ियों से संगीत साधना में लीन जयपुर भट्ट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपने पिता पं. शशिमोहन भट्ट से सितार वादन की शिक्षा हासिल की।राजस्थान विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वंदन कल्ला भी इस दौरान मौजूद रहीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर हर जानकारी उपलब्ध है लेकिन भारत में एक समृद्ध गुरु शिष्य परंपरा है। व्यक्तित्व निर्माण से लेकर करियर निर्माण तक गुरु की भूमिका अहम होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here