जेकेके में ताम्रपत्र नाटक का मंचन: वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर ख़ान के निर्देशन में खेला गया नाटक

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जयपुर। जवाहर कला केन्द्र और सार्थक थिएटर ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को कला संसार के अंतर्गत नाटक ‘ताम्रपत्र’ का मंचन किया गया। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर ख़ान के निर्देशन में आयोजित 45 दिवसीय गहन कार्यशाला में यह नाटक तैयार किया गया है। प्रतिदिन 4-5 घंटे चलने वाली कार्यशाला में नये कलाकरों ने हिस्सा लेकर रंगकर्म की बारीकियां सीखी। इन युवा रंगकर्मियों ने मजबूत अभिनय के साथ देवाशीष मजूमदार की कहानी को मंच पर साकार किया।

ताम्रपत्र नाटक की कहानी का केन्द्र मुनीम की नौकरी से रिटायर्ड शख्स है जो अब बुक बाइंडिंग कर परिवार का पालन पोषण कर रहा है। रिटायर्ड मुखिया का मन विचलित है अपने शिक्षित बेरोजगार बेटे के भविष्य को लेकर। बेटे के आग्रह पर वह स्थानीय सांसद से नौकरी की सिफारिश के लिए मिलने जाता है। यहां कहानी में मोड़ आता है सासंद बेटे को नौकरी दिलवाने के बजाए बुर्जुग को ही ताम्रपत्र भेंट कर पेंशन दिलवा देता है। गरीबी से त्रस्त बुजुर्ग मजबूरीवश इसे स्वीकार कर लेता है।

अब वो, जो नही था, वो बन जाता है। स्वतंत्रता का इतिहास, देश की आजादी के लिए लड़ने वालों की जीवनी, उनके संघर्ष को पढ़ते-पढ़ते उसके चरित्र में बदलाव आने लगता है और वह स्वयं को क्रांतिकारी समझने लगता है। सार्वजनिक स्थानों, अवसरों पर व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ वह बोलना शुरू कर देता है। कई मंत्रियों के विरूद्ध बने जांच आयोगों की अध्यक्षता लेने से इनकार कर देता है क्योंकि वह जानता था कि उसका इस्तेमाल किया जायेगा। उसको धमकियां दी जाती हैं, लेकिन वह निडरता से उनका सामना करता है। और अंत में वह ताम्रपत्र वापस सरकार को लौटा देता है।

मंच पर नवीन यादव ने तिस्वाम, मितांषा माथुर ने निहार, रोहित वर्मा ने वासु, निधि सिंह ने रिंकु, अंजलि शर्मा ने दादी, पुष्पकांत देवांत ने चंद्रकांत, संजय गांधी ने विकास और योगेश सिंह ने भास्कर और तिलक की भूमिका अदा की। राजीव मिश्रा और उज्ज्वल मिश्रा ने क्रमश: प्रकाश और संगीत संयोजन संभाला। सहल ख़ान सहायक निर्देशक, शहरीन ख़ान प्रोडक्शन डिजाइनर और रोशन आरा ख़ान कोस्ट्यूम डिजाइनर रहे।

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