जयपुर। चांदपोल बाजार स्थित मंदिर श्री रामचंद्र में चल रहे नव दिवसीय श्री राम जन्मोत्सव में श्री राम लला का प्रकट महोत्सव मनाया गया। राम जन्मोत्सव में नारद के बारे में वर्णन किया गया। जिसमें नारद जी के काम और क्रोध के बारे में बताया गया।
नारद जी को शंकर जी ब्रह्मा जी सब ने समझाया की अहंकार ठीक नही है। मगर नारद जी ने विष्णु भगवान के सामने अपनी अहंकार रूपी वाणी से अपनी ही प्रशंसा की मगर भगवान अपने भक्त को निर्मल देखना चाहते हैं उसका मंगल भी चाहते हैं भगवान ने विश्व मोहिनी रूप में नारद जी को फंसा लिया उनके विवाह करने की इच्छा हुई और भगवान से एक सुंदर रूप मांगा नारद जी ने विष्णु भगवान को कहा की प्रभु मुझे आप जैसा ही सुंदर बना दो साथ में यह भी कहा जेहि विधि नाथ हुई हित मोरा कर हूं सो बेगी दास हित मोरा।
बस भगवान ने उनकी सुंदर रूप देने की जगह वानर रूप प्रदान किया जिसके कारण नारद जी को बड़ा क्रोध आया और भगवान को मनुष्य रूप में अवतार लेने का श्राप दे दिया उन्होंने कहा कि जिस तरह आपने मेरी यह दशा बनाई है अगले अवतार में आपकी भी यही दशा होगी और वानर ही आपको इस मुसीबत से मुक्त करेंगे इस श्राप को साकार करने के लिए । ठाकुर जी ने राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां श्री राम रूप में जन्म लिया और नारद जी के श्राप को फलीभूत किया ।