श्रीरामचंद्र जी मंदिर में ठाकुर जी धारण करेंगे भक्तों की पोशाक

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जयपुर। चांदपोल बाजार स्थित ठिकाना श्रीरामचंद्र जी मंदिर में ठाकुरजी इस बार भक्तों की अर्पण की हुई पोशाक धारण करेंगे। महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि मंदिर में बने वार्डरोब में भक्तों द्वारा अर्पित की करीब 5 हजार ठाकुर जी पोशाक है। जो उत्सव व तिथि के अनुसार ठाकुरजी को धारण कराई जाती है। इस बार ठाकुजी को पुरानी रजवाड़ी पोशाक की जगह भक्तों की ओर से अर्पित की गई पोशाक ठाकुरजी को धारण कराई जाएगी। करीब 15 साल बाद दीपावल पर ठाकुरजी को जरदोजी ,मोती के वर्क वाली काले रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी।

इसी के साथ चांदी के वर्क बिल्कुल बारीक पीस कर ठाकुरजी का तिलक किया जाएगा। ठाकुरजी का अलौकिक श्रृंगार के पश्चात उन्हे सोने का मुकुट धारण कराया जाएगा। इस मुकुट में हीरे जड़ित सिरपेच,चांदी के तुर्रे, कलंगी मोतीलड़ी जड़ी हुई है। इसी के साथ ठाकुरजी को रजवाड़ी आभूषण भी धारण कराए जाएंगे। जिसमें मीनाकारी तिलक,कंठ,नवलखा हार,भुजबंद सहित कई आभूषणों को शामिल किया जाएगा। इसी के साथ सीता का भी विशेष श्रृंगार किया जाएगा। जिसमें माता सीता चंद्रिका, माथा पट्टी, तुस्सी, बालेवरा, चंद्रहार, कनकती, कड़े, चूड़ी, पाटले धारण कराएं जाएगे ।

तिथि अनुसार ये पोशाक कराई जाती है धारण

मंदिर महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि कई पोशाक मंदिर स्थापना के समय की बनी हुई है। जिनमें सोना-चांदी के तारों का काम किया हुआ है। जिन्हे मखमल के खोले में सुरक्षित रखा जाता है। दीपावली के दिन काली जरदोजी,शरद पूर्णिमा पर सफेद गोटे की पोशाक धारण कराई जाती है। ठाकुर जी जन्मोत्सव पर पीले गोटापत्ती की पोशाक धारण कराई जाती है। बताया जाता है कि ठाकुरजी को जरदोजी ,मोती के वर्क वाली काले रंग की पोशाक धारण करवाने की परपंरा मंदिर स्थापना के समय से चली आ रहीं है। दीपावली पर राजा -महाराजा भी काले वस्त्र धारण कर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए आते थे। ठाकुर श्रीरामचंद्रजी सूर्यवंशी हैं, इसलिए उन्हें भी काली पोशाक धारण कराई जाती है।

पूर्व राजपरिवार की माजी साहब ने सोने के गोटे पत्ती की पोशाक कराई थी ठाकु्र जी को धारण

मंदिर महंत नरेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि करीब 140 वर्ष पूर्व राजपरिवार की माजी साहब ने मंदिर की स्थापना के बाद पहली दीपावली को 10 मीटर घेर की बनी रेशम के कपड़े पर सोने के गोटे पत्ती से बनी पोशाक ठाकुर जी को धारण कराई थी। इस पोशाक को सुरक्षित रखने के लिए विशेष मखमल का खोल भी तैयार करवाया गया था। इसी के साथ एक नीले रंग की पोशाक भी बनावाई गई थी। यह पोशाक मंदिर स्थापना के 25 साल पूरे होने पर ठाकुर जी को धारण कराई गई थी।

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