दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान होगी देश की सबसे महंगी भगवान की प्रतिमा

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The country's most expensive idol of God will be installed in the Digambar Jain temple.
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जयपुर। भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। पवित्र नगरी जयपुर की पुण्यभूमि पर इस वर्ष एक ऐतिहासिक और अप्रतिम आयोजन होने जा रहा है। देश में पहली बार 500 जिन प्रतिमाओं की एक साथ प्राण प्रतिष्ठा का शुभ अवसर। यह दिव्य आयोजन पट्टाचार्य विशुद्ध सागर मुनिराज के परम प्रभावत शिष्य, महाश्रमण 108 आदित्य सागर महाराज संघ के पावन सानिध्य में 9 से 15 नवम्बर 2025 तक श्रद्धा और भक्ति के महासागर के रूप में संपन्न होगा।

अद्वितीय आयोजन- श्रद्धा, भव्यता और अध्यात्म का संगम

यह ऐतिहासिक पंचकल्याणक महोत्सव पंचकल्याणक प्रबंधकारिणी समिति,श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कीर्ति नगर के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष प्रेम कुमार जैन और महामंत्री जगदीश जैन ने बताया कि यह आयोजन टोंक रोड स्थित मुंशीमहल गार्डन में भव्य स्तर पर होगा, जहां लगभग 11 हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल में सुसज्जित पंडाल का निर्माण झांसी के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। सम्पूर्ण पंडाल को नए पवित्र वस्त्रों और पारंपरिक सजावटों से सजाया जा रहा है, जिससे यह स्थल एक जीवंत तीर्थ के रूप में रूपांतरित हो जाएगा।

अलौकिक प्राण प्रतिष्ठा – रत्नों और श्रद्धा से सुसज्जित प्रतिमाएँ

पंचकल्याणक महोत्सव के संरक्षक शिरोमणि दीक्षांत हाड़ा ने बताया की इस महोत्सव का प्रमुख आकर्षण का केंद्र देश की सबसे विशाल स्फटिक (इस्फ़िटिक) की भगवान पार्श्वनाथ प्रतिमा होगी, इसी के साथ स्वर्ण एवं बहुमूल्य रत्नों से निर्मित जिन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

मुनि आदित्य सागर महाराज ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक एकता का विराट पर्व बनने जा रहा है, जो विश्व जैन समाज के लिए गौरव का विषय होगा।उन्होंने बताया कि देश की सबसे मंहगी भगवान की प्रतिमा जयपुर के जैन मंदिरों में विराजमान होगी। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव से श्रद्धालुओं की धर्म के प्रति प्राथमिकता एवं प्रभावना बढेगी।

मुनि आदित्य सागर के सानिध्य में आध्यात्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला

प्रचार मंत्री आशीष बैद ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत 8 नवम्बर को मुनिश्री की पवित्र “पिच्छीका परिवर्तन समारोह” से होगी, जिसमें देशभर से 2 हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाएँ भाग लेंगी। मुख्य समन्वयक प्रचार-प्रसार विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक इसके पश्चात 9 से 15 नवम्बर तक सात दिवसीय पंचकल्याणक अनुष्ठान अत्यंत भव्य रूप में संपन्न होंगे जिनमें 9 नवम्बर – उपनयन संस्कार, 10 नवम्बर – गर्भ कल्याणक (पूर्वार्द्ध), 11 नवम्बर – गर्भ कल्याणक (उत्तरार्ध), 12 नवम्बर – जन्म कल्याणक, 13 नवम्बर – तप कल्याणक,14 नवम्बर – ज्ञान कल्याणक, 15 नवम्बर – मोक्ष कल्याणक होगा। प्रत्येक दिन प्रातः 6 बजे शांतिधारा, अभिषेक और पूजन के साथ मुनि आदित्य सागर महाराज के प्रवचन एवं आशीर्वचन होंगे।

संध्या काल में मुनिश्री की आरती, इंद्र सभा, तथा सांस्कृतिक एवं भक्ति संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें श्रद्धालु समाज भावपूर्वक भाग लेंगे। इन प्रतिष्ठित 500 प्रतिमाओं को देश के 32 जैन मंदिरों में विराजमान किया जाएगा । स्फटिक का नन्दीश्वर द्वीप भारत में पहली बार जयपुर में विराजमान होगा। विश्व की सबसे बड़ी खडगासन प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की जो स्फटिक मणि की बनेगी। जयपुर में विराजमान होगी। ये सारी प्रतिमाएं बनाने के लिए भारत के साथ अफगानिस्तान, ब्राजील आदि देशों से भी पत्थर मंगाया गया है। सारी प्रतिमाएं जयपुर में ही निर्मित की जा रही है। लगभग ढाई साल से इन मूर्तियों का निर्माण कार्य चल रहा है। कसौटी पत्थर की भी प्रतिमा बनाई जा रही है।

इस महोत्सव के माध्यम से सम्पूर्ण जैन समाज के साथ-साथ जयपुरवासी भी एक महान आध्यात्मिक अवसर के साक्षी बनेंगे। यह आयोजन न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि संघ-एकता, श्रद्धा और अहिंसा के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम भी बनेगा।

इस मौके पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बहुरंगीय पोस्टर का विमोचन किया गया। इस मौके पर विनोद जैन कोटखावदा, आशीष बैद, पाली विधायक भीम राज भाटी, राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्या सुमित्रा जैन पाली, नीरज काला आदि उपस्थिति थे।

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