उत्पन्ना वैतरणी एकादशी का व्रत 15 नवंबर को, श्रीहरि विष्णु की होगी आराधना

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जयपुर। पंचांग के अनुसार को मार्गशीर्ष मास अगहन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि रहेगी । उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत मानी जाती हैं। उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ ही एकादशी देवी की भी पूजा की जाती हैं क्योंकि इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था।

आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि जब मुर नामक एक राक्षस ने धरती पर अत्याचार किया तब भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से एकादशी देवी को प्रकट किया था और उस देवी ने मुर असुर का वध किया और उसी दिन का नाम उत्पन्ना एकादशी रखा गया। मार्गशीर्ष मास को श्रीकृष्ण का स्वरूप माना गया हैं।

इस एकादशी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के साथ श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती हैं। शनिवार को सुबह 8:05 से 09:25 तक पूजा का श्रेष्ठ समय रहेगा। इस एकादशी का व्रत करने से घर में सुख शांति बनी रहती हैं।

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