जयपुर। तांत्रिक साधना, शक्ति आराधना और आत्मबल संवर्धन का नौ दिवसीय पर्व गुप्त नवरात्र गुरुवार को आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ शुरू हुआ। गोविंद देवजी मंदिर में अखंड रामायण पाठ शुरू हुए।
आमेर के शिला माता , दुर्गापुरा के दुर्गा माता, झालाना के कालक्या माता, घाटगेट श्मशान स्थित काली माता मंदिर में घट स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्रों की साधना शुरू की गई। प्रारंभ में मातारानी का शृंगार कर पूजन किया गया। गुप्त नवरात्र में इस बार कई ज्योतिषीय संयोग देखने को मिलेंगे। 28 जून को गुरु आद्रा नक्षत्र में रहेंगे। 29 जून को शुक्र वृषभ राशि में, 30 जून को मंगल पूर्वा फाल्गुनी में रहेंगे। चार जुलाई, नवमी तिथि को गुप्त नवरात्र का समापन होगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार मां दुर्गा का पालकी आगमन हुआ है। इससे तेज बारिश, महामारी और प्राकृतिक परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं।
ऋतु पुष्पों से किया मां गीता गायत्री का श्रृंगार: गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की गई। पंडित राजकुमार चतुर्वेदी ने मां गीता और गायत्री का दिव्य औषधि, विभिन्न तीर्थों के जल और पंचामृत से अभिषेक किया। नवीन पोशाक धारण कराकर पुष्पों से श्रृंगार किया गया। मंदिर के प्रवक्ता नीतीश चैतन्य चतुर्वेदी ने बताया माता गायत्री महामंत्र का जाप कर घंटे-घडिय़ाल बजाकर महाआरती की गई।