जयपुर। हरि कथा जीव और जगदीश के बीच के संबंध को पुन: स्थापित करने का एकमात्र माध्यम है। क्योंकि जीव संसार में आते ही भगवान को भूल जाता है और माया के वशीभूत होकर हाय धन हाय करने लगता है। ऐसे में कथा ही ईश्वर से टूटे तार को जोड़ सकती है।
ये उद्गार श्री शिव महापुराण कथा समिति, जयपुर की ओर से कांतिचंद रोड बनीपार्क में जंगलेश्वर महादेव मंदिर के पास गुरुवार को शुरू हुई शिव महापुराण कथा में व्यासपीठ से व्यासपीठ से भाई श्री संतोष सागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना और कथा श्रवण का फल बाद में मिलता है लेकिन कर्मों का फल जल्दी मिलता है इसलिए हमेशा सत्कर्म करते रहना चाहिए। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव देह मिलना भगवान की प्रत्यक्ष कृपा है। ऐसे में जब भी जहां भी शिव महापुराण कथा श्रवण का अवसर मिले तो चूकना नहीं चाहिए।
श्री शिव महापुराण कथा समिति, जयपुर के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बताया कि प्रधान यजमान जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर कुसुम यादव और नगर निगम के पूर्व चैयरमेन अजय यादव, श्री शिव महापुराण कथा समिति, जयपुर के अध्यक्ष पं. सुरेश शास्त्री, उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मनोज पंसारी, उपाध्यक्ष त्रिलोक खंडेलवाल, दीपक गोयल, श्रीराम कोडिया, रवि चावल वाले रवि सैनी, कोषाध्यक्ष चंद्र प्रकाश खंडेलवाल सहित अन्य पदाधिकारियों ने वेद मंत्रोच्चार के साथ शिव महापुराण की पूजा-अर्चना की। इससे पूर्व सुबह शिव शक्ति महायज्ञ हुआ। जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर कुसुम यादव और नगर निगम के पूर्व चैयरमेन अजय यादव, नगर निगम ग्रेटर के चैयरमेन रवि प्रकाश सैनी ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान की।
आज होगी शिवलिंग की महिमा की कथा:
कथा में 27 जून को दोपहर दो से शाम छह बजे तक शिवलिंग महिमा, रुद्राक्ष एवं भस्म महिमा का श्रवण कराया जाएगा। 28 जून को नारद चरित्र, सृष्टि वर्णन, धनपति कुबेर कथा, 29 जून को सती चरित्र, पार्वती जन्म एवं शिव विवाह महोत्सव होगा। 30 जून को गंगा अवतरण, समुद्र मंथन, अर्धनारीश्वर कथा होगी। एक जुलाई को कार्तिकेय जन्म एवं गणपति जन्म उत्सव, दो जुलाई को दुर्वासा, हनुमान, भैरव अवतार, जलंधर वध, तुलसी विवाह, तीन जुलाई को द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य कथा, चार जुलाई को शिव भक्त चरित्र, महामृत्युंजय एवं पंचाक्षर मंत्र महिमा, शिव साधना का प्रसंग होगा।