विजयदशमी पर सजा ठाकुर श्री राम चंद्र जी का राज दरबार

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The royal court of Thakur Shri Ram Chandra Ji decorated on Vijayadashmi
The royal court of Thakur Shri Ram Chandra Ji decorated on Vijayadashmi

जयपुर। विजयदशमी के उपलक्ष्य पर शनिवार को चांदपोल में स्थित ठाकुर श्री रामचंद्र जी महाराज की विजय सवारी निकाली गई। जिसमें भगवान श्रीराम के साथ सीता जी रथ में मौजूद रहीं। शाही लवाजमें के साथ निकली विजय सवारी में अष्ट सखियां मंगल गान करते हुए रथ के साथ चली।शाम 6 बजे मंदिर परिसर से शाही लवाजमें के साथ शाही विजय सवारी रवाना हुई। रथ यात्रा के बाद विशेष विजय आरती की गई।जिसके पश्चात पूरे पोडश उपचार के साथ आयुध पूजन किया गया।

इस मंगल अवसर पर मंदिर भक्त समाज द्वारा बधाई उत्सव आयोजित किया गया। शाही विजय सवारी में ठाकुरजी के समक्ष पूरा राजसी दरबार सजाया गया। जिसमें सिंहासन के चारो ओर सिंह मुखी स्थम्भ लगाएं गए। ठाकुर जी के पीछे नागफणी मुख के कटहरे लगाए गए और दोनो तरफ चंवर झूलाए गए। श्री राम दरबार को रजवाड़ा काल के कुंदन मीनाकरी, जरदोजी जामे धारण करवाए गए। जिसके पश्चात ठाकुर श्रीराम चंद्र जी को रत्न जड़ित ताज पहनाया गया। मंदिर परिसर में द्वार के दोनो ओर हवाई तोपों की सलामी के बीच संध्या आरती हुई।

ठाकुर जी के समक्ष हुई शस्त्र पूजा

रियासतकालीन शस्त्र दरबार ठाकुर जी के सम्मुख सजाकर शक्ति आह्वान कर शस्त्र पूजन किया गया। जिसके पश्चात हवाई तोपों की सलामी के बीच शाम 7 बजे संध्या आरती की गई।

ये है श्रीराम के शस्त्र दरबार

श्रीराम के शस्त्र में 10 किलो वजनी धनुष, जिसकी लंबाई 5 फीट है। इसकी प्रत्यंचा भी चांदी के तार की है। मंदिर स्थापना के समय 1882 में मां जी साहब गुलाब कंवर ने ये शस्त्र भेंट किए थे। इसके अलावा चांदी के चार धनुष व बाण 1932 में मंदिर के 50वें स्थापना दिवस पर राजा मानसिंह ने भेंट किए थे।

चंद्र असि यानी खड्ग :- अष्ट धातु से बना 8 किलो का दोधारी खड्ग सोने की मीना कारी से सजा हुआ है । मखमली जरदोजी की खड्ग की म्यान पीतल की है।

तलवार :-10 किलो की तलवार 1890 में जयपुर नरेश माधोसिंह ने भेंट की। शाही तलवार मंदिर के 25 वे स्थापना दिवस पर राजा मानसिंह द्वितीय ने भेंट की।

10 किलो वजनी दीन्ह गदा पर चांदी की नक्काशी है। वजनी होने के कारण सिंहासन से नीचे धारण करवाया जाता है।

बन्दूक और पिस्तौल :- सवाई मानसिंह द्वितीय ने श्री ठाकुर जी के लिए एक विशेष तरह की बन्दूक बनवाई थी। इस पर सूर्यवंशी चिन्ह अंकित है। पिस्तौल राजा भवानी सिंह ने भेंट की थी।

ढाल :- अष्टधातु की चंडी की ढाल पर भी सूर्यवंशी चिन्ह अंकित है।

विजय भाले :- भालों की लम्बाई 7 फ़ीट है। चांदी के 8 फ़ीट लम्बे दंड यानी लाठी है। सभी शस्त्र राजा माधोसिंह ने भेंट किये थे।

सोने की कटार :- यह सोने की कटार श्री रामजी की कमर पर बाँधी जाती है।विवाह उत्सव में बारात के समय बांधी जाती है।

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