जयपुर। विद्याधर नगर में स्थित मणिपाल हॉस्पिटल में एक 65 वर्षीय पुरुष झुंझुनू निवासी पतराम जो की काफी समय से बुखार की वजह से परेशान थे। उन्होंने राजस्थान व दिल्ली के कई डॉक्टरों व हॉस्पिटल्स में दिखाया। परंतु फिर भी उन्हे राहत नहीं मिल पा रही थी। डॉक्टर्स का कहना था कि लीवर में इंफेक्शन है जो दवा से ठीक हो जाएगा। दवाइयां लेने के बाद भी मरीज का बुखार ठीक नहीं हो रहा था। आखिरकार उन्होंने मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर में डॉ. विपिन जैन सीनियर फिजिशियन को दिखाया।
जहां पर उनकी कुछ जांचे की तो पता चला कि उनके हृदय के वाल्व पर दबाव आ रहा था। मरीज से बात करने पर पता चला की 11 वर्षों पूर्व मरीज के हृदय की सर्जरी हुई थी। जिसमें उनका वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया था। अब मरीज का यह वाल्व फिर से खराब हो गया था। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंशुल कुमार गुप्ता ने मरीज को बताया कि उनका यह वाल्व फिर से बदलना पड़ेगा। परंतु मरीज की अधिक उम्र और उसके फेफड़ों की स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं था कि उनकी दोबारा ओपन हार्ट सर्जरी की जा सके। इसलिए कार्डियोलॉजी टीम के डॉ रशीद अहमद, डॉ अंशुल कुमार गुप्ता, डॉ हिमांशु गुप्ता एवं कार्डियक सर्जन डॉ. ललित मालिक और कार्डियक एनेस्थीसिया के डॉ. अभिनव गुप्ता व टीम के सभी अन्य सदस्यों ने उनका टावी द्वारा वाल्व रिप्लेसमेंट करने की सलाह दी।
टावी एक ऐसा प्रोसीजर है जिसके द्वारा मरीज का बिना सर्जरी के ही वाल्व का रिप्लेसमेंट किया जा सकता है। डॉक्टर अंशुल ने मरीज को इसके बारे में अवगत कराया और इसके बाद उनका वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया। यह काफी जटिल प्रक्रिया थी क्योंकि मरीज काफी हाई रिस्क था और पुराना वाल्व जो की मरीज का खराब हो गया था। उसी में नया वाल्व लगाना था। इस प्रक्रिया को (वाल्व में वाल्व) कहते है इस जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज अब ठीक है और अपने दैनिक दिनचर्या के काम अच्छे से कर पा रहा है ।
कार्डियक सर्जन डॉ. ललित मलिक ने बताया की इस ऑपरेशन को करने में 2 से 3 घंटे का समय लगा व उन्होंने पुराने वाल्व की जगह नया वाल्व बिना सर्जरी के लगा दिया । सर्जरी बिना चीर फाड़ के हुई तो मरीज को ऑपरेशन के 3 दिन बाद ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ है।
इस अवसर पर मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के डायरेक्टर रंजन ठाकुर ने बताया कि हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने नई तकनीक से जटिल ऑपरेशन किया है इसके लिए उन्हे बधाई देते है। आगे भी वह इसी प्रकार नई तकनीकों का प्रयोग करके मरीजों का जीवन बचाने में सदैव प्रयासरत रहेगे।